आपको याद होगा कि जब 30 जून 2010 को हमने जीआईसी हाउसिंग में पहली बार निवेश की सलाह दी थी तब उसका शेयर 104 रुपए के आसपास था। ठीक एक दिन पहले उसने तब तक के पिछले 52 हफ्तो का शिखर 106.45 रुपए पर बनाया था। फिर भी हमने कहा था कि इसे 150 रुपए तक पहुंचना चाहिए। और, वो चार महीने के भीतर 25 अक्टूबर 2010 को 161.55 रुपए के शिखर पर जा पहुंचा। चार महीनेऔरऔर भी

पहले स्वराज माज़्दा थी। इस साल 4 जनवरी से एसएमएल इसुज़ु हो गई। पहले स्वराज ब्रांड था। अब एसएमएल और इसुज़ु हो गया है। बस, ट्रक व अन्य व्यावसायिक वाहन बनाती है। भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, रवांडा, सीरिया व जॉर्डन जैसे तमाम देशों में अपने वाहन बेचती है। 1984 में सरकारी कंपनी पंजाब ट्रैक्टर्स व जापान की माज़्दा कॉरपोरेशन व सुमितोमो कॉरपोरेशन से साथ मिलकर शुरुआत की। फिलहाल सुमितोमो कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी है क्योंकिऔरऔर भी

एक तो इसका नाम ही बड़ा विचित्र है। समझ में नहीं आता कि कैसे उच्चारण करें। एआरएसएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स। कंपनी के प्रवर्तक अग्रवाल बंधु हैं तो ए शायद वहां से आया होगा। राजेश अग्रवाल प्रबंध निदेशक हैं तो आर वहां से आया होगा, सुबाष अग्रवाल चेयरमैन हैं तो एक एस वहां से आया होगा। सौमेंद्र पटनायक निदेशक (वित्त) हैं और कंपनी से शुरू से जुड़े हैं तो हो सकता है दूसरा एस वहां से आ गया हो।औरऔर भी

अशोक लेलैंड। आजादी के बाद देश को आत्मनिर्भर बनाने के ख्वाब के साथ 1955 से सक्रिय कंपनी। मालिक हिंदुजा समूह। बस व ट्रक से लेकर डिफेंस व अन्य विशिष्ट कामों के लिए विशेष वाहन। पिछले ही महीने कंपनी हल्के वाहनों के सेगमेंट में ‘दोस्त’ के साथ उतरी है। अशोक लेलैंड का नाम दिखता है हर जगह। कम से कम इस ब्रांड के पांच लाख वाहन सड़कों पर। ए ग्रुप का शेयर। बीएसई-100 में शामिल। लेकिन हाल ऐसाऔरऔर भी

दवा एक ऐसी चीज है जिस पर गरीब से गरीब आदमी भी खर्च करने में कोताही नहीं करता। इसीलिए दवा उद्योग लगातार बढ़ता रहता है। इस पर किसी भी तरह की मंदी की आंच नहीं आती। ऐसे में जमी-जमाई दवा कंपनियों में निवेश करना लंबे समय के लिए सुरक्षित और लाभप्रद माना जाता है। विविमेड लैब्स बीस सालों से ज्यादा पुरानी ऐसी ही कंपनी है। जुलाई 2005 में उसका पब्लिक इश्यू आया था जिसमें उसके दस रुपएऔरऔर भी

जहां सारे कुएं में भांग पड़ी हो, वहां समझदारी की बात करना बेवकूफी है। हमारे शेयर बाजार का यही हाल है। ऑपरेटर, म्यूचुअल फंड और एफआईआई अंदर की खबरों पर काम करते हैं। बाजार इतना छिछला व छिछोरा है कि इनकी खरीद की खबर भी अंदर की खबर बन जाती है। खिलाड़ी लोग इन्हीं खबरों के आधार पर खेल करते हैं। कुछ हैं जो इन्हें कहीं न कहीं फुसफुसा देते हैं। ऐसे लोग गिने-चुने हैं। कुछ हैंऔरऔर भी

अपना देश लगता है उलटबांसियों का देश है। आयात निर्यात जमकर बढ़ रहा है। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच निर्यात 54 फीसदी तो आयात 40 फीसदी बढ़ा है। इससे कंटेनरों को बंदरगाहों तक लाने-ले जाने वाली कंपनियों का धंधा भी बढ़ा है। लेकिन तमाम कार्गो कंपनियों के शेयर पिटे पड़े हैं। सरकारी कंपनी कंटेनर कॉरपोरेपशन (कॉनकोर) की हालत तो कुछ ज्यादा ही खराब है। धंधा बुरा नहीं है क्योंकि जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभऔरऔर भी

सद्भाव इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर व कंस्ट्रक्शन उद्योग की उन गिनी-चुनी कंपनियों में शामिल है जिन्होंने कमजोरी के दौर में भी मजबूती दिखाई है। जून 2011 की तिमाही में उसकी आय साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 44.09 फीसदी बढ़कर 612.87 करोड़ और शुद्ध लाभ 32.34 फीसदी बढ़कर 33.80 करोड़ रुपए हो गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय 75.76 फीसदी बढ़कर 2209.17 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 122.12 फीसदी बढ़कर 119.59 करोड़ रुपए होऔरऔर भी

सेषासायी पेपर 51 साल पुरानी तमिलनाडु की कंपनी है। उत्तर भारत की कंपनी होती तो सही नाम शेषाशायी होता। शेषाशायी विष्णु का पर्यायवाची है जिसका शाब्दिक अर्थ है शेषनाग पर शयन करनेवाला। खैर, नाम में क्या रखा है! कंपनी ने पिछले महीने 23 जुलाई को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए। इसके मुताबिक साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में उसका बिक्री 9.69 फीसदी बढ़कर 120.08 करोड़ से 131.71 करोड़ रुपएऔरऔर भी

करीब साल-सवा साल पहले हमारे चक्री महाराज इंडिया सीमेंट्स को झकझोरे पड़े थे। सीमेंट के धंधे के साथ-साथ आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग टीम की मालिक इस कंपनी का शेयर तब 140 रुपए के आसपास चल रहा था। चक्री का दावा था, “अगले दो-तीन सालों में आईपीएल टीम के मूल्यांकन के दम पर इंडिया सीमेंट का शेयर 450 रुपए तक जा सकता है। अभी फिलहाल अगले कुछ महीनों में तो इसमें 100 रुपए के बढ़त की पूरीऔरऔर भी