बड़े-बड़े विद्वानों और अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि जनवरी में भारत का औद्योगिक उत्पादन बहुत बढ़ा तो साल भर पहले की अपेक्षा 2.1 फीसदी ही बढ़ेगा। इस निराशा की वजह थी कि अक्टूबर 2011 में औद्योगिक उद्पादन बढ़ने के बजाय 5.1 फीसदी घट गया था। इसके अगले महीने नवंबर में यह 5.9 फीसदी बढ़ा, पर दिसंबर में फिर बढ़ने की रफ्तार घटकर 1.8 फीसदी पर आ गई। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी त्वरितऔरऔर भी

मुद्रास्फीति की दर जनवरी में उम्मीद से कुछ ज्यादा ही घटकर 6.55 फीसदी पर आ गई है। यह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति का नवंबर 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक विकास दर के त्वरित अनुमान के घटकर 6.9 फीसदी रह जाने और मुद्रास्फीति के काफी हद तक काबू में आ जाने के बाद रिजर्व बैंक पर इस बार का दबाव बढ़ जाएगा कि वह ब्याज दरोंऔरऔर भी