समाज के आगे बढ़ने के साथ ज्ञान से लेकर समृद्धि तक का लोकतंत्रीकरण होता गया। यह किसी मजबूरी में नहीं, बल्कि ज़रूरत के चलते हुआ। हालांकि अब भी विशेषाधिकार बचे हुए हैं। लेकिन अधिकारों और समृद्धि का विस्तार आज की जरूरत बन गया है। जो कंपनियां बढ़ना चाहती हैं, वे रिस्क पूंजी के लिए अवाम के बीच आती हैं। आम लोगो को भी इस निवेश का फायदा मिलता है। आज तथास्तु में पेश है एक संकोची कंपनी…औरऔर भी