संस्कार बनाम शिक्षा
मान्यता, संस्कार या परंपरा – ये सब जड़त्व व यथास्थिति के पोषक हैं, जबकि शिक्षा से निकली वैज्ञानिक सोच गति का ईंधन है। जड़त्व और गति की तरह शिक्षा और संस्कार में भी निरंतर संघर्ष चलता रहता है जिसमें अंततः गति का जीतना ही जीवन है।और भीऔर भी
ज़िद और जड़ता
लंबे समय तक किसी गफलत में जीना न खुद के लिए अच्छा है और न ही औरों के लिए। धीरे-धीरे झलकने लगता है कि हम कितने भ्रम में पड़े हुए थे। लेकिन अपनी जिद और जड़ता के कारण हम सच को स्वीकार करने से भागते रहते हैं।और भीऔर भी
जड़ता से निजात
अंदर या बाहर, कहीं से जड़ता से निकलने का मतलब है एक चुम्बकीय क्षेत्र को तोड़ना। इसके लिए या तो निरतंर घर्षण से नया चुम्बक पैदा करना पड़ता है, नहीं तो कोई बड़ा चुम्बक खींचकर लाना पड़ता है।और भीऔर भी
समय और खरहा
समय हर जड़त्व से मुक्त कछुआ है। लेकिन हम जड़त्व से ऐसे घिरे हैं कि यथास्थिति नया कुछ करने से रोकती है। सोते-जागते खरगोश की तरह बढ़ते हैं हम। ठान लें तो समय से आगे निकल जाएं।और भीऔर भी