वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी महंगाई की दर में मामूली गिरावट से भी उत्साहित हैं। उन्होंने भरोसा जताया है कि आनेवाले महीनों में मुद्रास्फीति और नीचे आएगी। उनका मानना है कि खाद्यान्नों के स्टॉक में बढ़ोतरी और मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की लागत घटने से महंगाई और घटेगी। मुखर्जी ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘अप्रैल में मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं व खाद्य वस्तुओं, दोनों के दाम में गिरावट आई है। यह एक अच्छा रुख है।औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) 10 मई से 12 मई तक खुला रहेगा। इसके तहत कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी पांच फीसदी घटाई जाएगी और 15 फीसदी नए शेयर जारी किए जाएंगे। कंपनी कुल लगभग 23 करोड़ शेयर जारी करेगी। इस खबर के आने के बाद मंगलवार को दोपहर पीएफसी के शेयर 3.7 फीसदी बढ़कर 231.70 रुपए पर पहुंच गए थे। हालांकि बंद हुए हैं 1.94 फीसदी बढ़कर 228.30औरऔर भी

विश्व बाजार में आने वाले महीनों में भी कच्चे तेल के दाम यदि 100 डॉलर प्रति बैरल के ईदगिर्द ही टिके रहते हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की अंडर-रिकवरी या नुकसान अगले वित्त वर्ष में 98,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख ओएमसी हैं – बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल। ब्रोकर फर्म इंडिया इनफोलाइन (आईआईएफएल) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त करते हुए कहा गया है किऔरऔर भी

यह वाकई बहुत बुरी बात है कि बिजनेस चैनल अब दर्शकों की भावनाओं के साथ खेलने लगे हैं। एक बिजनेस चैनल और उससे जुड़ी समाचार एजेंसी ने खबर फ्लैश कर दी कि सरकार पेट्रोलियम तेलों पर फिर से नियंत्रण कायम करने जा रही है। कितनी भयंकर बेवकूफी की बात है? सुधारों को पटलने का सवाल कहां उठता है? यह तो तभी हो सकता है जब सीपीएम केंद्र सरकार की लगाम थाम ले! स्वाभाविक रूप से पेट्रोलियम मंत्रीऔरऔर भी

कोई भी कंपनी आज क्या है, निवेश के लिए इससे ज्यादा अहम होता है कि उसके भावी विकास का ग्राफ कहां जाता दिख रहा है। जब तक आपको कंपनी समझ में नहीं आ जाती, उसकी मजबूती और भावी विकास के बारे में आप आश्वस्त नहीं हो जाते, तब तक कतई निवेश न करे। आखिर आपकी गाढ़ी कमाई कहीं भागी तो नहीं जा रही। बस यह है कि अभी बैंक उसका फायदा उठा रहा है। आप समझदार होऔरऔर भी

मुद्रास्फीति की ऊंची दरों के चलते अब डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला अगले वित्त वर्ष तक टाला जा सकता है। यह कहना है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन का। उन्होंने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि, “शायद मार्च 2011 तक अगर मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी के आसपास आ जाती है तो उस वक्त संभवतः डीजल के मूल्यों को बढ़ाया जा सकता है।” पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर वित्त मंत्रीऔरऔर भी

सरकार इंडियन ऑयल व ओएनजीसी के एफपीओ से पहले डीजल के दाम बढ़ाने पर विचार कर सकती है। यह कहना है तेल सचिव एस सुंदरेशन का। हालांकि उनका कहना था, “फिलहाल सरकार के लिए सारा बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देना बेहद मुश्किल है। लेकिन हम यह मुद्दा मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह (ईजीओएम) के सामने रखेंगे।” सुंदरेशन ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि इंडियन ऑयल व ओएनजीसी में और सरकारी हिस्सेदारी बेचने से पहलेऔरऔर भी

सरकारी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) 30 नवंबर को आएगा। इश्यू क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बिडर्स या क्यूआईबी के लिए 2 दिसंबर और आम निवेशकों के लिए 3 दिसंबर तक खुला रहेगा। कंपनी ने बीएसई में दाखिल सूचना में यह जानकारी दी है। कंपनी ने इस एफपीओ के लिए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस सेबी और कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय के पास जमा करा दिया। वह इस इश्यू से करीब 1450 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।औरऔर भी

पीएसएल लिमिटेड का शेयर कल एनएसई, बीएसई दोनों ही स्टॉक एक्सचेंजों में 52 हफ्ते की तलहटी पर पहुंच गया। वो बीएसई (कोड – 526801) में 114.15 रुपए और एनएसई (कोड – PSL) में 113.60 रुपए तक गिर गया। ऐसा क्यों हुआ, नहीं पता। हां, कंपनी ने महीने भर पहले 29 सितंबर को इतना जरूर बताया था कि सितंबर 2005 में जारी 4 करोड़ डॉलर के जीरो कूपन विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) की अदायगी 7 सितंबर 2010औरऔर भी

इंडियन ऑयल (बीएसई कोड – 530965, एनएसई कोड – IOC) का नाम ही काफी है। लेकिन जानते हैं इसकी सालाना आय कितनी है? 2,69,136 करोड़ रुपए। जिसे हम बार-बार देश की सबसे बड़ी कंपनी कहते हैं, उस रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना आय है 1,92,461 करोड़ रुपए। हां, बाजार पूंजीकरण में वह जरूर नंबर-वन है क्योंकि उसके शेयर के मूल्य व कुल जारी शेयरों की संख्या का गुणनफल 3,30,230 करोड़ रुपए है, जबकि इंडियन ऑयल का बाजार पूंजीकरणऔरऔर भी