आप ऐसे ट्रेडर तो नहीं जो खुद का नुकसान करने पर आमादा है? ट्रेडिंग से हुए फायदे-नुकसान का ग्राफ बनाएं। अगर कुल मिलाकर ग्राफ का रुख ऊपर है तो आप सही जा रहे हैं। अन्यथा, तय मानिए कि आप बाज़ार की चाल नहीं पकड़ पा रहे और अपना ही नुकसान करने की फितरत के शिकार हैं। गहराई से सोचिए और अपने नज़रिए की पड़ताल कीजिए। इस बीच सौदों का साइज़ फौरन घटा दीजिए। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

खराब किस्मत का रोना रोनेवाले अक्सर नाहक मुसीबत मोल लेने और जीत के जबड़े से हार खींच लाने में माहिर होते हैं। ज़रा सोचिए तो सही कि सफलता का बढ़िया ट्रैक-रिकॉर्ड रखनेवाले दिमागदार लोग भी ट्रेड में लगातार पिटते क्यों हैं? क्या यह अज्ञान है, खोटी किस्मत है या अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने की फितरत? नशेड़ियों की तरह ऐसे लोग खुद को ही खोखला करते चले जाते हैं। खैर, अब रुख करते हैं बाज़ार का…औरऔर भी

केवल सरकार के बांड सुरक्षित हैं। बाकी हर निवेश में यह रिस्क है कि जितना वादा है, कहा गया है या शुरू में सोचा है, उतना रिटर्न आखिरकार नहीं मिलेगा। अब यह निवेशक पर है कि वो आंख मूंदकर फैसला करे या सारे जोखिम का हिसाब-किताब पहले से लगाकर। इस मायने में ट्रेडर अलग हैं। वे सारा कुछ नापतौल कर न्यूनतम रिस्क लेते हैं। वे बड़ा जोखिम कतई नहीं उठाते। इस हफ्ते तो भयंकर उठापटक होनी है।…औरऔर भी

परसों कहा गया कि एलएंडटी का 6.45% गिरना अपने साथ शेयर बाज़ार को डुबा ले गया। कल यह तोहमत उसके साथ ही साथ एसबीआई पर भी लग गई क्योंकि एलएंडटी के शेयर 6.49% और गिरे, वहीं एसबीआई को 7.96% का सदमा लगा। निफ्टी में एलएंडटी का भार 4.05% और एसबीआई का भार 2.93% है। पर असल में यह झलक है कि सस्ते धन का प्रवाह रुकने से बुलबुला कैसे पिचक सकता है। बाज़ार अब घबराने लगा है।…औरऔर भी

न्यूनतम रिस्क, अधिकतम रिटर्न। हर कोई यही चाहता है। यह चाह पूरी की जा सकती है, बशर्ते हम भरपूर नाप-जोख कर लें। बाज़ार में भगवान तो ट्रेडिंग करता नहीं। जो भी करते हैं इंसान ही करते हैं। अल्गो ट्रेडिंग की डोर इंसान ही संभालता है। कुछ इंसान बाज़ार का रुख तय करते हैं, जबकि ज्यादातर इंसान इस रुख में बहते हैं। हमें इन्हीं कुछ इंसानों की चाल को पकड़ने का हुनर सीखना है। रुख करें बाज़ार का…औरऔर भी

चीज़ कितनी भी अच्छी या काम की हो, बाज़ार में उसे भाव तभी मिलता है जब लोगों की निगाह में वो चढ़ जाती है। शेयरों के साथ भी यही होता है। लेकिन लोकतंत्र में जिस तरह मतदान गुप्त रखा जाता है, उसी तरह यहां कौन-कौन खरीद-बेच रहा है, यह जाहिर नहीं होता। संस्थागत निवेशकों का रुख पता चल जाए तो ट्रेडरों की किस्मत खुल जाती है। यह मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। पकड़ते हैं आज की दशा-दिशा…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में तेज़ी का फायदा दो लोगों को मिलता है। एक, जिनके पास कंपनियों के शेयर पहले से हैं और दो, जो बदलते रुख से ताल मिलाकर फटाफट ट्रेडिंग करते हैं। कमाल की बात है कि एयरलाइन का टिकट महंगा हो जाए तो हवाई सफर करनेवाला दुखी हो जाता है, लेकिन यहां तेज़ी के दौर में शेयरों के महंगा होने पर उसे न रखनेवाला चहककर बाज़ार की तरफ दौड़ पड़ता है। सोचिए-समझिए। अब मौके की बात…औरऔर भी

इधर प्रोफेशनल ट्रेडरों से मिलना जारी है। बड़े संत मानसिकता के होते हैं ऐसे ट्रेडर। दूसरे शब्दों में कहें तो आप अगर संत मानसिकता में रहते हैं तभी ट्रेडिंग में कामयाब होते हैं। नियम है कि आप ट्रेडिंग तभी करें, जब आप मन और भावना के स्तर पर खुश हों। जिस दिन किसी से लफड़ा हुआ हो, बीवी/पति से झगड़ा हुआ हो, मन से अशांत हों, उस दिन ट्रेडिंग कतई न करें। अब सुनें आगे का हाल…औरऔर भी

क्या आपको अंदाज़ा है कि शेयर बाज़ार में हर दिन कितना धन इधर से उधर होता है। 1.30 लाख करोड़ रुपए से लेकर 1.40 लाख करोड़ रुपए। ध्यान दें यहां लाख या करोड़ की नहीं, लाख करोड़ की बात हो रही है, जिसे अंग्रेज़ी में ट्रिलियन कहते हैं। यह अमीरों का धन है, एफआईआई, डीआईआई का धन है। क्या इसमें से कोई पढ़ा-लिखा समझदार बेरोज़गार दिन के एक-दो हज़ार भी नहीं कमा सकता? आप कहेंगे कि आजऔरऔर भी

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के नतीजे 14 मई को आए। पता चला कि मार्च 2013 की तिमाही में डूबत ऋणों के चलते उसका शुद्ध लाभ 79.11% घटकर 31.18 करोड़ रुपए पर आ गया। लेकिन उसका शेयर पिछले तीन दिनों में 1.63% बढ़कर कल 59.20 रुपए पर पहुंच गया। भाव कभी झूठ नहीं बोलते। फिर खराब नतीजों से वो गिरे क्यों नहीं? ऐसे सवाल ही शेयर बाजार के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएंगे। अब नज़र आज पर…औरऔर भी