मां के गर्भ में खास वक्त तक पता नहीं चलता कि हम पुरुष बनेंगे या स्त्री। उसी तरह किसी संगठन में अल्प विकसित अवस्था तक हमारा खेमा तय नहीं होता। पर हैसियत बनते ही हम पक्षधर बन जाते हैं।और भीऔर भी

कोई भी फर्क मामूली नहीं। ज़रा-सा फर्क मूल प्रकृति बदल देता है। कोशिका के 46 में से एक क्रोमोज़ोम के अंतर से पुरुष स्त्री बन जाता है। इसलिए बारीक अंतरों को कतई नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।और भीऔर भी