हमें अपने पूर्वजों द्वारा निकाले गए निष्कर्षों का नहीं, उनके जुझारूपन का कायल होना चाहिए। जब खुद वे शाश्वत नहीं रहे तो उनके निष्कर्ष कैसे शाश्वत हो सकते हैं। हां, उनका जुझारूपन जरूर शाश्वत है।और भीऔर भी

बदलाव शाश्वत है। इसलिए दुख भी शाश्वत है क्योंकि बदलाव से यथास्थिति में मौज कर रहे लोगों को दुख होता है। बदलने वाले भी कष्ट पाते हैं। लेकिन नए की भावना उनकी सारी पीड़ा हर लेती है।और भीऔर भी