हम भिन्न हैं तभी तो हम हैं। नहीं तो सांचे से निकली ईंट और हम में फर्क ही क्या रहता। जो इस भिन्नता को समझता है और इससे होनेवाली तकरार को प्रोत्साहित करता है, वही अच्छी व कारगर टीम बना सकता है।और भीऔर भी