यहां सब लौकिक है, पारलौकिक कुछ नहीं। हम जिन प्रभावों की वजह देख नहीं पाते, दूसरे उसे पारलौकिक बताकर अपना लौकिक हित साधते हैं। वैसे भी पारलौकिक की सत्ता बराबर सिकुड़ती जा रही है।और भीऔर भी