।।पॉल क्रुगमैन*।। हाल की आर्थिक दिक्कतों का एक सबक इतिहास की उपयोगिता के रूप में सामने आया है। इस बार का संकट जब उभर ही रहा था, तभी हार्वर्ड के दौ अर्थशास्त्रियों कारमेन राइनहार्ट और केनेथ रोगॉफ ने बड़े ही चुटीले शीर्षक – This time is different से एक जबरस्त किताब छपवाई। उनकी स्थापना थी कि संकटों के बीच काफी पारिवारिक समानता रही है। चाहे वो 1930 के दशक के हालात रहे हों, 1990 के दशक केऔरऔर भी

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को अमेरिका के ‘नेशनल मेडल ऑफ आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को व्हाइट हाउस में आयोजित एक भव्य समारोह में दिया। मालूम हो कि अमर्त्य सेन को 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है और वे इस समय अमेरिका की ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र व दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर हैं। ओबामा ने 78 वर्षीय अमर्त्य सेनऔरऔर भी

जाने-माने अर्थशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक अरविंद पनगारिया ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भंग करने की मांग करते हुए कहा है कि यह देश में उच्च शिक्षा का दम घोंट रही है। पनगारिया न्यूयार्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। मंगलवार को मुंबई में एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि यह उचित समय है कि हम इस विशालकाय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भंग कर एक उचित संगठन बनाएं जो मुस्तैद हो और आज वऔरऔर भी