योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से कम से कम एक फीसदी ज्यादा रहेगा। इस साल के बजट में अनुमान लगाया गया है कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.6 फीसदी रहेगा। लेकिन मोंटेक की मानें तो यह कम से कम 5.6 फीसदी रहेगा। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में कहा कि देश के आर्थिक विकास में छाती सुस्ती को दूर करने केऔरऔर भी

पिछले कुछ दिनों से भारतीय शेयर बाजार में तेजी का क्रम जमने लगा तो मंदी के खिलाड़ियों ने अपनी पकड़ बनाने के लिए रिसर्च रिपोर्टों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। भारत में सक्रिय जर्मन बैंक, डॉयचे बैंक ने एक ताजा रिपोर्ट जारी कर कहा है कि अगर अगले वित्त वर्ष 2012-13 में भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) या अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 फीसदी पर आ गई तो बीएसई सेंसेक्स गिरकर 14,500 अंक परऔरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के रास्ते पर है और 2008 की मंदी के बाद पिछले दो वर्षों में अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर आठ फीसदी रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को न्यूयॉर्क में इंडिया इनवेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए भरोसा जताया कि इस साल भी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 8 फीसदी रहेगी। अगले साल मार्च से शुरू हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना में जीडीपी में विकास का सालाना लक्ष्य नौ फीसदीऔरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2030 तक 30 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। यह कहना है देश के सबसे ब़ड़े उद्योगपति और रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी का। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अभी 1.4 लाख करोड़ डॉलर का है। ध्यान दें, यहां डॉलर में बात हो रही है। इसलिए रुपए की मुद्रास्फीति का असर इसमें शामिल नहीं है। शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना आमसभा को संबोधित करते मुकेश अंबानी ने कहा, “साल 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्थाऔरऔर भी

सब्जियों और कुछ दालों के दाम नीचे आने से 30 अप्रैल 2011 को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर हफ्ते भर पहले की तुलना में 0.83 फीसदी घटकर 7.70 प्रतिशत रह गई। यह पिछले 18 महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति का न्यूनतम स्तर है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति एक हफ्ते पहले 8.53 फीसदी रही थी। यह लगातार दूसरा सप्ताह रहा है जब खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई। एक साल पहले इसी सप्ताहऔरऔर भी

देश में आर्थिक विकास के साथ आर्थिक अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा शिकार बैंकिंग क्षेत्र हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुताबिक 2004-05 में बैंक फ्रॉड के कुल 10,450 मामले दर्ज किए गए थे। चार साल बाद 2008-09 तक इनकी संख्या लगभग 129 फीसदी बढ़कर 23,917 हो गई। 2004-05 में इससे बैंकिंग क्षेत्र को 779 करोड़ की चपत लगी थी, जबकि 2008-09 तक यह नुकसान 142 फीसदी बढ़कर 1883 करोड़ रुपए परऔरऔर भी