चीनी देश का इकलौता उद्योग है जहां बीस साल पहले उठी उदारीकरण की बयार अभी तक नहीं पहुंची है। कच्चे माल, गन्ने की कीमत सरकार तय करती है। केंद्र ही नहीं, राज्य सरकारों तक का इसमें दखल रहता है। फिर अंतिम उत्पाद, चीनी का एक हिस्सा लेवी के बतौर सरकार खुद तय की गई कीमत पर ले लेती है। सरकार के इतने अंकुश के बावजूद हालात दुरुस्त नहीं हैं और किसानों व चीनी मिलों में ठनी रहतीऔरऔर भी