जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम और स्पीक एशिया में क्या समानता है? दोनों का वकील एक है और इनका नाम है – अशोक सरावगी। खैर, ऐसा होना आम बात है। सरावगी ने तो आमिर अजमल कसाब का भी एडवोकेट बनने की पेशकश की थी। खास बात यह है कि पिछले हफ्ते शुक्रवार, 20 मई को सरावगी ने मुंबई में स्पीक एशिया की तरफ से एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि स्पीक एशिया अपनेऔरऔर भी

अमेरिकी सरकार के बांडों में सबसे ज्यादा निवेश रखनेवाले चीन ने वहां अपना निवेश घटाना शुरू कर दिया है, जबकि भारत बढ़ाता जा रहा है। हालांकि मात्रा के लिहाज से भारत का निवेश चीन के सामने कहीं नहीं टिकता। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2010 से जनवरी 2011 के बीच चीन ने अमेरिकी बांडों में अपना निवेश 20.6 अरब डॉलर घटा दिया है। अक्टूबर में यह 1175.3 अरब डॉलर था, जबकि जनवरी मेंऔरऔर भी

चांदी के भाव रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं। मंगलवार, 22 फरवरी को देश के तमाम सराफा बाजारों में चांदी के भाव बढ़ गए। राजधानी दिल्ली में तो चांदी (.999) के भाव 49,700 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए। यह भारत में अब तक का ऐतिहासिक शिखर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो चांदी का भाव इस समय 34.31 डॉलर प्रति औंस (31.1034 ग्राम) पर पहुंच गया है जो 1980 के बाद का सबसे ऊंचाऔरऔर भी

अपनी मुद्रा युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की चीन की महत्वाकांक्षा रंग लाती नजर आ रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुरुवार को जारी की गई अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि युआन बहुत तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की जानेवाली मुद्रा बन सकती है और दुनिया के तमाम देश अपना विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर की जगह युआन (रेनमिंबी) में रख सकते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किए गए संयुक्तऔरऔर भी

चीन ने हर तरफ से पड़ रहे दबाव के बाद अब जाकर कहा है कि वह अपनी मुद्रा युआन या रेनमिंबी को डॉलर से सापेक्ष महंगा होने देगा। नहीं तो वह अभी तक अपनी मुद्रा को डॉलर के सापेक्ष टस मे मस नही होने देता था। इसका सबूत है कि 31 जुलाई 2008 के बाद से अब तक रेनमिंबी की विनिमय दर डॉलर के सापेक्ष केवल 0.1 फीसदी बढ़ी है, वहीं यूरो के सापेक्ष यह 20.8 फीसदीऔरऔर भी