मशहूर विश्लेषक मार्क फेबर का मानना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था इस समय साल 2008 से भी बदतर अवस्था में है। जबरन कम रखी ब्याज दरों का विस्तार अमेरिका से लेकर यूरोप तक हो चुका है। हर महीने 85 अरब डॉलर के नोट झोंकने के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था संतोषजनक स्थिति में नहीं आ पाई है। भारत व चीन जैसे उभरते देश भी सुस्त पड़ते दिख रहे हैं। ऐसे माहौल में ऐसी कंपनी, जिसका आधार बड़ा मजबूत है…औरऔर भी

शेयर बाज़ार के मूड का पैमाना बीएसई सेंसेक्स 10 जनवरी 2008 के शिखर 21,206.77 को भेदकर 21,293.88 की नई ऊंचाई हासिल कर चुका है। एक तो महंगाई की औसत दर को 10 फीसदी भी मानें तो सेंसेक्स का असल स्तर 12,251.16 पर है। दूसरे, इसमें शामिल 30 कंपनियों से अलग बीएसई-500 पर नज़र डालें तो मात्र 133 शेयर ही नए शिखर पर हैं। बाकी 367 अब भी पस्त हैं। पेश है इन्हीं में से एक शानदार शेयर…औरऔर भी

कोई भी शेयर अपनी सहूलियत से खरीदें, न कि दूसरों के दबाव और बाजार के शोरशराबे पर। वो भी तब, जब भाव अपने माफिक आ जाए। सौ-पचास स्टॉक्स खरीदने की जरूरत नहीं। आठ-दस साल में दौलत पैदा करने के लिए पांच-दस स्टॉक्स ही काफी हैं। तथास्तु में आज एक ऐसी कंपनी जो पिछले 15 सालों से अपने मुनाफे का 3/4 हिस्सा शेयरधारकों में बांटती रही है। इसका शेयर अभी महंगा है। थोड़ा नीचे आए तभी खरीदना है…औरऔर भी

पहले स्वराज माज़्दा थी। इस साल 4 जनवरी से एसएमएल इसुज़ु हो गई। पहले स्वराज ब्रांड था। अब एसएमएल और इसुज़ु हो गया है। बस, ट्रक व अन्य व्यावसायिक वाहन बनाती है। भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, रवांडा, सीरिया व जॉर्डन जैसे तमाम देशों में अपने वाहन बेचती है। 1984 में सरकारी कंपनी पंजाब ट्रैक्टर्स व जापान की माज़्दा कॉरपोरेशन व सुमितोमो कॉरपोरेशन से साथ मिलकर शुरुआत की। फिलहाल सुमितोमो कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी है क्योंकिऔरऔर भी