देश में बचत खातों के अलावा बैंकों को हर तरह की डिपॉजिट पर ब्याज दर तय करने की छूट को मिले हुए तेरह साल से ज्यादा हो चुके हैं। अब बचत खाते में जमा रकम की ब्याज दर को भी बाजार शक्तियों के हवाले कर देने की तैयारी है। रिजर्व बैंक ने इस विषय में एक बहस-पत्र जारी किया है जिसमें इसके तमाम फायदे-नुकसान गिनाए गए हैं। लेकिन तर्कों का पलड़ा बचत खातों की ब्याज दर कोऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने इस साल 26 फरवरी को अपने बजट भाषण में नए बैंकों को लाइसेंस देने की बात कही थी, तभी से बाजार में कयास लगाए जाने लगे थे कि किस-किस कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल सकता है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 20 अप्रैल को सालाना मौद्रिक नीति में कहा कि वह जुलाई के अंत तक इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर देगा। लेकिन जुलाई के बीत जाने के दस दिन बाद रिजर्व बैंक नेऔरऔर भी