इंसानों की इस दुनिया में भगवान की तलाश बड़ी रिस्की है। न जाने किस भेष में भगवान नहीं, कोई शैतान या महाठग मिल जाए! फिर, जब सब कुछ अपने ज्ञान, कर्म और नेटवर्किंग से मिलना है तो ऐसा संगीन रिस्क उठाने में फायदा ही क्या।  और भीऔर भी

किसी में अपना अक्स देखकर दीवाने हो जाते हैं हम। वह शख्स हमारी भावना जानकर और भी उछल-कूद मचाने लगता है। लेकिन इस दौरान उसका विचलन झलक गया तो झट से उसे हैवान भी बना देते हैं।और भीऔर भी