छोटी-छेटी प्रतिक्रियाओं में हम अक्सर बड़े फैसले कर बैठते हैं। राजनीति और ज़िंदगी दोनों में। भूल जाते हैं कि हमारे इन फैसलों से रिश्ते सन्न रह जाते हैं, भावनाएं तड़क जाती हैं। प्रतिक्रिया से हमें सब मिल जाता है, पर उनकी तो ज़िदगी ही उजड़ जाती है।और भीऔर भी

जो लोग देखने से ही मना कर देते हैं, उनके फैसले कैसे सही हो सकते हैं? तथ्यों से सत्य और सत्य से सूत्र निकलते हैं। पहला चरण है तथ्यों की तहकीकात। जो इससे भागते हैं, उनके सूत्र सरासर बकवास हैं।और भीऔर भी

नीतियां बनानेवाले भी हमारे-आप जैसे इंसान होते हैं। वे भी हमारी तरह संपूर्ण को न देख पाने की गलती कर सकते हैं। उनके फैसले सबको प्रभावित करते हैं। इसलिए उन पर सभी को निगाह रखना जरूरी है।और भीऔर भी

लोकतंत्र में फैसले लेना बड़ा आसान है क्योंकि बहुमत की राय आसानी से जानी जा सकती है। फैसलों में मुश्किल तब आती है कि कोई सरकार बहुमत के नाम पर अल्पमत का हित सब पर थोपना चाहती है।और भीऔर भी

यहां से वहां तक सारे फैसले तो लोग ही करते हैं। दूर से सब कुछ धुंधला दिखता हैं। यह धुंधलका और गहरा हो जाए, साफ कुछ न दिखे, इसलिए लोग भगवान व विधान का पाखंड खड़ा कर देते हैं।और भीऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बीमा कंपनियों के पूंजी बाजार में उतरने की राह खोल दी है। लेकिन उसके बोर्ड ने सोमवार को अपनी बैठक में कुछ ऐसी शर्तें तय कर दीं जिन्हें बीमा कंपनियों को अलग से पूरा करना होगा। साथ ही बोर्ड ने किसी भी आईपीओ (प्रारंभिक पब्लिक ऑफर) में रिटेल निवेशकों के लिए अब तक चली आ रही एक लाख रुपए निवेश की सीमा को बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया है। इसकेऔरऔर भी