हल्ला है कि मोदी के राज में सरकारी कंपनियां बेहतर काम करेंगी। यही वजह है कि पिछले तीन महीनों में बीएसई सेंसेक्स जहां 12.7% बढ़ा है, वहीं बीएसई पीएसयू सूचकांक 39.7% बढ़ गया। पर क्या सरकारी दखल के हट जाने में वाकई वो चमत्कार है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां चमकने लगेंगी? सोचिए, क्या सरकारी बैंकों के गले में फंसे 1.64 लाख करोड़ रुपए के डूबत ऋण की समस्या यूं ही सुलझ जाएगी? अब वार मंगल का…औरऔर भी

विख्यात अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने 1776 में छपी किताब वेल्थ ऑफ नेशंस में लिखा था कि बाज़ार में सप्लाई मांग से ज्यादा होने पर वस्तु के भाव गिर जाते हैं। मशहूर वैज्ञानिक आइज़ैक न्यूटन ने 1687 में बताया कि कोई भी वस्तु तब तक गतिशील रहेगी जब तक उसका मुकाबला उसके बराबर या उससे ज्यादा बल की वस्तु से नहीं होता। इन्हीं नियमों पर आधारित है मांग और सप्लाई की पद्धति। इसे अपनाते हुए करते हैं ट्रेडिंग…औरऔर भी

किसी भी आम ट्रेडर से पूछ लीजिए। वो आपको आराम से पंद्रह संकेतक गिना देगा जो बताते हैं कि किसी स्टॉक का भावी रुझान क्या है और उसे किस भाव पर कितने स्टॉप लॉस के साथ खरीदना/बेचना चाहिए? लेकिन यकीन मानिए, इनमें से कोई जादुई संकेतक नहीं है जो एकदम सटीक भविष्यवाणी कर सके। अपने-आप में हर संकेतक अधूरा है। उसे दो-तीन के साथ मिलाने पर ही तस्वीर थोड़ी साफ होती है। देखते हैं आज की तस्वीर…औरऔर भी

मैं कोई लंबी-चौड़ी बात नहीं करता। क्या करूं! लंबी नहीं, छोटी नजर है अपनी। साल-दो साल भी नहीं, दस-पंद्रह दिन की सोचता हूं। किसी की टिप्स नहीं, ठोस खबरों पर काम करता हूं। इन्हीं के आधार पर आपको बता रहा हूं कि जागरण प्रकाशन में तेजी आनेवाली है। इसका शेयर दस-पंद्रह दिन में 110 रुपए को पार कर सकता है। यानी, इसमें खटाखट दस फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है। पांच फीसदी तो कहीं नहीं गया।औरऔर भी