कर्मों से मिले मूल्य, पूछताछ से भाव
2012-04-21
मूल्य वो है जो कंपनी के कर्मों से बनता है और भाव वो है जो लोग उसे देते हैं। खरीदने-बेचने वाली शक्तियों के असल संतुलन से ही निकलता है भाव। हो सकता है कि कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही हो। उसका धंधा बढ़ रहा हो। लाभप्रदता भी बढ़ रही हो। फिर भी बाजार के लोगों में उसके शेयरों को खरीदने की दिलचस्पी न हो तो उसका भाव दबा ही रहेगा। आप कहेंगे कि अच्छी चीज़ कोऔरऔर भी