सहज-वृत्ति चलना, घाटे में धंसना
हमारी सोच में कुछ जन्मजात दोष हैं, जिनको दूर किए बगैर हम ट्रेडिंग में कतई कामयाब नहीं हो सकते। चूंकि अपने यहां इन सोचगत व स्वभावगत दोषों को दूर करने की कोई व्यवस्था नहीं है और सभी इस खामी का फायदा उठाकर कमाना चाहते हैं तो हम में ज्यादातर लोग घाटे पर घाटा खाते रहते हैं। किसी को हमें घाटे से उबारने की नहीं पड़ी है। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी बड़ी-बड़ी बातें ज़रूर करती है, लेकिनऔरऔर भी