तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से में चेन्नई से करीब 500 किलोमीटर दूर है शिवकाशी, जहां बनते हैं देश के कोने-कोने तक पहुंचनेवाले 90 फीसदी पटाखे। शिवकाशी का पटाखा उद्योग करीब 2500 करोड़ रुपए का है और इसमें लगभग 1.5 लाख लोग काम करते हैं। देश की 70 फीसदी माचिसें भी वहीं बनती हैं। यही नहीं, देश की ऑफसेट प्रिंटिंग का 70 फीसदी काम वहीं होता है। शिवकाशी पहले बाल मजदूरों के लिए बदनाम था। लेकिन बताते हैं किऔरऔर भी

बाल अधिकारों से जुड़ी लगभग सभी संधियों पर दस्तखत करने के बावजूद भारत बाल मजदूरों का सबसे बड़ा घर क्यों बन चुका है? इसी से जुड़ा यह सवाल भी सोचने लायक है कि बाल श्रम निषेध एवं नियंत्रण कानून, 1986 के बावजूद हर बार जनगणना में बाल मजदूरों की तादाद पहले से कहीं बहुत ज्यादा क्यों निकल आया करती है? वैसे, हकीकत इससे भी कहीं ज्यादा भयानक है। दरअसल बाल मजदूरी में फंसे केवल 15% बच्चे हीऔरऔर भी