बाजार की मनोदशा खराब चल रही है। फंड मैनेजर अब भी करीब 15 फीसदी करेक्शन या गिरावट की बात कर रहे हैं। इस सेटलमेंट में बहुत ही कम रोलओवर हुआ है। अगले महीने बजट आना है। मुद्रास्फीति की तलवार सिर पर लटकी है। ब्याज दरों का बढ़ना भी बड़ी चिंता है। इन सारी चिंताओं से घिरा निवेशक पास में कैश की गड्डी होने के बावजूद बाजार में नहीं घुसना चाहता। अमेरिकी बाजार इधर काफी बढ़ चुके हैंऔरऔर भी

कल हमने बाजार चलानेवालों का ऐसा खेल देखा जो पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने धांधली करके महीने की कैरीओवर दरों को सीधे 1.4 फीसदी से 5 फीसदी तक पहुंचा दिया और कारोबारी दिनों की संख्या के आधार पर वास्तविक लागत 2 से 9 फीसदी तक रहीं। यह एकदम अविश्सनीय था। यह साबित करता है कि बाजार के खिलाड़ियों का कितना भारी ररूख है। निस्संदेह तौर पर ऐसा सुना गया है कि गोल्डमैन ने 850 करोड़ रुपएऔरऔर भी