शरीर ही खेवैया
2011-08-31
छुटपन में मां, फिर बाप और फिर शरीर ही हमारा खेवैया होता है। इसे शराब के क्षार, धूम्रपान व तंबाकू की घुटन और भोजन की अशुद्धता से अस्थिर रखेंगे तो वह सहजता से कैसे हमारा ख्याल रख पाएगा!और भीऔर भी
छुटपन में मां, फिर बाप और फिर शरीर ही हमारा खेवैया होता है। इसे शराब के क्षार, धूम्रपान व तंबाकू की घुटन और भोजन की अशुद्धता से अस्थिर रखेंगे तो वह सहजता से कैसे हमारा ख्याल रख पाएगा!और भीऔर भी
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