वित्तीय बाज़ार में ज्यादातर लोग विफल होते हैं तो सोचते हैं कि कोई तो छिपी हुई तकनीक या टेक्निकल एनालिसिस का जटिल इंडीकेटर होगा जो उनसे छूटा जा रहा है। ऐसी मनःस्थिति में कुछ लोग जादुई चिराग लेकर उनके सामने आ जाते हैं और दावा करते हैं कि उनका तीर कभी खाली नहीं जाता। लेकिन वहां भी धोखा मिलता है। हमारा यकीन मानिए: किसी के पास कोई जादुई मंत्र नहीं है। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार पर ज्ञान तो बहुतेरा है। किताबों से लेकर इंटरनेट तक विपुल भंडार है। लेकिन फायदा वही कराता है जिसे हम सोच व व्यवहार में उतार सकें। जैसे, कहते हैं कि स्टॉप-लॉस को ट्रेडिंग के बिजनेस की लागत मानकर चलें। लेकिन गणना के गलत होते ही कोई शेयर डूबता है तो हमारा मन भी डूब जाता है। इसलिए 2% से ज्यादा स्टॉप-लॉस वाले सौदे को कभी हाथ नहीं लगाना चाहिए। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

कहीं से खास अच्छी खबर नहीं आई। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2014-15 में 5.6% रहेगी। वहीं, आईएमएफ ने 2015 व 2016 में विश्व की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर क्रमशः 3.5% व 3.7% कर दिया। फिर भी सेंसेक्स 2.01% और निफ्टी 1.89% बढ़कर नए शिखर पर पहुंच गए। क्यों और कैसे? बाज़ार को समझने की कुंजी छिपी है इसके जवाब में। अब पकड़ें बुध की बुद्धि…औरऔर भी

किसी भी बाज़ार के सफल कामकाज़ के लिए भावों पर असर डालने वाली सारी घोषित सूचनाओं तक सभी ट्रेडरों की समान पहुंच का होना ज़रूरी है। पर व्यवहार में ऐसा होता नहीं। अपने यहां तो खुद प्रवर्तक, ऑपरेटरों के साथ मिलकर खेल करते हैं। अंदर की खबरों पर आधारित इस तरह की इनसाइडर ट्रेडिंग अवैध है। फिर भी सेबी की तमाम कोशिशों के बावजूद यह अपने यहां की कड़वी हकीकत है। करते हैं अब मंगल का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग में वही रिस्क उठाने चाहिए जिसमें अपने फायदे की गुंजाइश ज्यादा और नुकसान की न्यूनतम हो। अंधे रिस्क का कोई मतलब नहीं क्योंकि याद रखें कि सामनेवाला घाघ खिलाड़ी घात लगाए बैठा है। इसलिए बाज़ार में उतरें तो पूरी तैयारी और गणना के साथ कि फायदे की प्रायिकता और दांव उल्टा पड़ने की आशंका कितनी है। सतर्क रहें और दांव उल्टा पड़ते ही कम से कम नुकसान में बाहर निकल लें। अब देखें सोम का व्योम…औरऔर भी

भाव उम्मीदों से बनते हैं और उम्मीद बनती है माकूल खबर से। इसलिए ब्याज दर में कमी की खबर लगते ही निफ्टी सारी सुस्ती छोड़कर खुला ही करीब 150 अंक या 1.78% ऊपर। लगातार बढ़ता-बढ़ता 2.50 बजे के आसपास 3% चढ़ गया और आखिर में 2.62% की बढ़त के साथ 8500 से ज़रा-सा नीचे बंद हुआ। यह 9 मई 2014 के बाद पिछले आठ महीनों की सबसे बड़ी दैनिक बढ़त है। करते हैं अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

भावों की भाषा सीखना-समझना फैंच या स्पैनिश सीखने से कम नहीं। लेकिन ट्रेडिंग में सफल होना है तो भावों की भाषा में पारंगत होना बहुत ज़रूरी है। भाव को भगवान मानने से काम नहीं चलेगा। उसकी तह में पैठने के लिए तमाम किताबें पढ़नी पड़ेंगी, टेक्निकल एनालिसिस तक की थाह लेनी पड़ेगी। कारण, हमारे पास देखने को भाव और आजमाने को अपनी बुद्धि व अभ्यास के अलावा और कुछ नहीं है। अब परखते हैं गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

कल बाज़ार के एक पुराने जानकार से मिला। कहने लगे कि सच बहुत कड़वा होता है, पर सच यही है कि बीते दो दशक में अच्छी पारदर्शिता आने के बावजूद अपना बाज़ार अभी सचमुच पूरा पारदर्शी नहीं हुआ है। एक्सचेंज या सेबी वही आंकड़े बताते हैं जिनमें गहरा गोता लगाकर भी सच की मणि नहीं मिलती। मैं भी सोचने लगा कि अक्सर ठीक ढाई बजे बाज़ार अचानक पलटी क्यों मारता है? सोचिए, समझिए। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

ट्रेडिंग में स्टॉप-लॉस का वही महत्व है जो गाड़ी में ब्रेक का। दरअसल, स्टॉप-लॉस का तत्व हर ट्रेडर के डीएनए का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन बहुत से लोग अपने को सही ठहराने के लिए स्टॉप-लॉस को उल्टी दिशा में गिराते-उठाते रहते हैं। लॉन्ग सौदे में शेयर गिर गया तो स्टॉप-लॉस को और नीचे ले जाते हैं। शॉर्ट किया तो स्टॉक के बढ़ने पर स्टॉप-लॉस उठा दिया। इस तरह अनुशासन तोड़ना घातक होता है। अब मंगलवार का अभ्यास…औरऔर भी

शेयर बाज़ार नशे में टुन्न किसी मनोरोगी जैसा है। यह कहना है दुनिया के सबसे कामयाब निवेशक वॉरेन बफेट का। हम उनकी बात को कतई चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि ऐसी सोच की बदौलत ही उन्होंने करीब 7300 करोड़ डॉलर की दौलत बनाई है। लेकिन यह भी सच है कि बाज़ार उल्लास और अवसाद की अतियों के बीच झूलता है। समझदार ट्रेडर ‘नशे में टुन्न मनोरोगी’ बाज़ार के इसी बर्ताव से कमाते हैं। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी