स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने दुनिया भर में देशों से लेकर बैंकों तक को डाउनग्रेड करने का सिलसिला जारी रखा है तो हर तरफ निराशा ही निराश फैली गई है। इससे इन एजेंसियों को चाहे कुछ मिले या नहीं, लेकिन समूची दुनिया में निवेशकों को वित्तीय नुकसान जरूर हो रहा है। ध्यान दें कि ये वही रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें 2007-08 में अमेरिका के सब-प्राइम संकट का भान तक नहीं हुआ थाऔरऔर भी

साल 2010 के बाकी चार दिन इसी तरह रंग-तरंग में मनाते रहिए। 30 दिसंबर को रोलओवर होना है और 31 दिसंबर म्यूचुअल फंडों द्वारा अपने एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) को दुरुस्त करने का दिन होगा। सेंसेक्स 180 अंकों की पेंग मारने के बाद 45 अंक गिरकर बंद हुआ है, जबकि निफ्टी में साढे तेरह अंकों की गिरावट आई है। अगले चार दिनों में कुछ भी खास नहीं होने वाला है। हां, एक बात अच्छी तरह दिमाग मेंऔरऔर भी

कल बाजार डीएमके से जुडे नेताओं पर सीबीआई के छापों के कारण गिर गया। लेकिन इसे तूल देना एकदम गलत है क्योंकि डीएमके सत्ता से बाहर रहना गवारा नहीं कर सकती। विपक्ष ठीक ही कह रहा है कि इतनी देर से छापे मारना महज दिखावा है क्योंकि इस बीच गुनहगारों को इतना वक्त मिल गया कि वे तमाम कागकाज इधर से उधर कर चुके होंगे। इसलिए छापों से सीबीआई को काम का कुछ नहीं मिला होगा। असलऔरऔर भी

बाजार में बढ़त जारी है। बीएसई सेंसेक्स 20000 के स्तर से करीब 410 अंक और एनएसई निफ्टी 6000 के स्तर से करीब 120 अंक पीछे है। लेकिन मेरा यकीन है कि इस सेटलमेंट में ऐसा नहीं हो पाएगा। हालंकि इसी सेटलमेंट में निफ्टी 6000 अंक के ऊपर चला गया तो मैं इस दुनिया का सबसे खुश इंसान होऊंगा क्योंकि यह मेरा सपना रहा है। मैं निफ्टी में 2800 अंक से लेकर आपको 5900 तक लाया हूं औरऔरऔर भी