एक ट्रक डाइवर था। मस्त-मस्त सपने बुनता था कि थोड़ा-थोड़ा करके किसी दिन इतना बचा लेगा कि अपना ट्रक खरीदेगा और तब गैर का चाकर नहीं, खुद अपना मालिक होगा। सौभाग्य से एक दिन वो सपना पूरा हुआ। सालों-साल की बचत काम आई। उसने एकदम झकास नया ट्रक खरीदा। नौकरी छोड़ दी। यार-दोस्तों के साथ खुशी मनाने के लिए जमकर दारू पी। उसी रात घर लौट रहा तो नशे में ट्रक खड्डे में गिरा दी। डीजल टैंकऔरऔर भी

आप शेयर बाज़ार में अच्छी तरह ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको मानव मन को अच्छी तरह समझना पड़ेगा। आखिर बाज़ार में लोग ही तो हैं जो आशा-निराशा, लालच व भय जैसी तमाम मानवीय दुर्बलताओं के पुतले हैं। ये दुर्बलताएं ही किसी ट्रेडर के लिए अच्छे शिकार का जानदार मौका पेश करती हैं। निवेश व ट्रेडिंग के मनोविज्ञान पर यूं तो तमाम किताबें लिखी गई हैं। लेकिन उनके चक्कर में पड़ने के बजाय यही पर्याप्त होगा किऔरऔर भी

काश! ऐसा होता कि अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों एकदम अलग-अलग होते। ऐसा होता तो अपने यहां सेंसेक्स बहुत जल्द छलांग लगाकर 23000 अंक तक पहुंच जाता। हाल में बहुत-सी ब्रोकर फर्मों ने रिपोर्ट जारी कर भविष्यवाणी भी की है कि इस नहीं, अगली दिवाली तक जरूर सेंसेक्स 23,000 के पार चला जाएगा। लेकिन राजनीति और अर्थशास्त्र अलग-अलग हैं नहीं। इसीलिए राजनीतिक अर्थशास्त्र की बात की जाती है। इसी से बनता है पूरा सच और वो सच यहऔरऔर भी

बाहर से सब कुछ भरा-पूरा, अंदर से परेशान। सदियों पहले एक राजकुमार इसी उलझन को सुलझाने निकला तो बुद्ध बन गया। नया दर्शन चल पड़ा। सदियों बाद लाखों लोग सब कुछ होते हुए भी वैसे ही बेचैन हैं। लेकिन कोई बुद्ध नहीं बनता। आखिर क्यों?और भीऔर भी

सदियों पहले बौद्ध भिक्षुओं का रिवाज था कि वे बारिश के चार महीनों में यायावरी छोड़, कहीं एक जगह ठेहा जमाकर बैठकर जाते थे। लगता है हम निवेशकों को भी कुछ महीनों के लिए हाथ-पैर बांधकर, लेकिन दिमाग खोलकर बैठ जाना चाहिए। असल में बाजार कहीं जा नहीं रहा। बस कदमताल किए जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अभी जिस तरह ब्याज दरों के बढ़ने का सिलसिला चल रहा है, आर्थिक विकास दर में सुस्तीऔरऔर भी

बुद्ध ने शांत जीवन के आठ आधार बताए हैं। सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वचन, सम्यक कर्म, सम्यक जीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति व सम्यक समाधि। पर इस सम्यक का सिरा क्या है?और भीऔर भी