भारतीय गणतंत्र 73 साल का हो गया। देश के सभी समझदार व संवेदनशील नागरिकों को परखने की ज़रूरत है कि अब तक नियमित अंतराल पर बराबर चुनावों से गुजरता हमारा लोकतंत्र सत्ता तंत्र के मजबूत होते जाने का सबब बना है या सचमुच भारतीय लोक या गण शक्तिमान बना है। हमें यह भी देखना चाहिए कि प्राचीन भारत में गणतंत्र का क्या स्वरूप था, आज कैसा है और कैसा होना चाहिए। इन मसलों पर संक्षिप्त चर्चा करनेऔरऔर भी

गंगोत्री से गंगा की धारा के साथ बहते पत्थर का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा हज़ारों किलोमीटर की रगड़-धगड़ के बाद शिव बन जाता है, मंगल का प्रतीक बन जाता है। आंख में ज़रा-सा कण पड़ जाए तो हम इतना रगड़ते हैं कि वह लाल हो जाती है। लेकिन सीप में परजीवी घुस जाए तो वह उसे अपनी लार से ऐसा लपटेती है कि मोती बन जाता है। ऐसे ही हैं हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार जो हज़ारों सालों की यात्राऔरऔर भी