देखना है चार्ट, पढ़ना भाव से भावना
भावों का इतिहास और ठीक पिछले पल तक के भाव अपने आप में बहुत कुछ कह जाते हैं। उनके पीछे होती हैं हज़ारों उम्मीदें, मंसूबे, आशाएं व आशंकाएं। कुछ तार्किक तो बहुत सारी अतार्किक। इन सबके पीछे कमाने का हिसाब-किताब लगाते इंसान। जिन दिन चार्ट पर बनी आकृतियों के पीछे के इंसानों को हम सही-सही देखने में सफल हो जाते हैं, उस दिन से कामयाबी पर हमारी पकड़ कसने लगती है। अब नए हफ्ते का नया अभ्यास…औरऔर भी