देश की सबसे बड़ी कार-निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र में शुक्रवार शाम 4 बजे से मजदूर फिर से हड़ताल पर चले गए हैं। मजदूर यूनियन ने इसकी वजह कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता और वादाखिलाफी को बताया है। वहीं कंपनी प्रवक्ता ने इसका ज्यादा खुलासा नहीं किया। लेकिन इस बात की पुष्टि की कि मानेसर संयंत्र में उत्पादन पूरी तरह रोक दिया गया है। बता दें कि पिछले हफ्ते शनिवार, 1 अक्टूबर को मारुति के प्रबंधनऔरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व प्रमुख डोमिनिक स्ट्रॉस काह्न को कठिन शर्तो के साथ शुक्रवार को जमानत मिल गई। लेकिन इसके लिए उन्हें 10 लाख डॉलर नकद जमा कराने के साथ-साथ 50 लाख डॉलर का बांड भरना पड़ेगा। यह भी शर्त है कि वे न्यूयॉर्क के अपने अपार्टमेंट में नजरबंद रहेंगे और सशस्त्र गार्ड उनकी निगरानी करेंगे। उन्हें अपने सभी यात्रा दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया गया है। होटलकर्मी महिला के साथ यौन दुर्व्‍यवहार सेऔरऔर भी

बैंकर से लेकर अर्थशास्त्री तक कहे जा रहे हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ा देगा। खासकर फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के उम्मीद से ज्यादा 8.31 फीसदी रहने पर लगभग पक्का माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों यानी रेपो और रिवर्स रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर क्रमशः 6.75 फीसदी और 5.75 फीसदी कर देगा। लेकिन सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक इस बार ऐसाऔरऔर भी

कल अचानक जिस तरह की कयासबाज़ी बढ़ गई थी कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है, वह आज मंगलवार को पूरी तरह हवाई निकली। रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। अब तत्काल प्रभाव से रेपो दर 6.25 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.25 फीसदी से बढ़कर 5.50 फीसदी हो गईऔरऔर भी

देश में सरकारी प्रतिभूतियों (बांडों) का बाजार पूरी तरह बनावटी है और सही अर्थों में यह बाजार है ही नहीं। यह कहना क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक चेयरमैन डॉ. आर एच पाटिल का। डॉ. पाटिल देश में ऋण बाजार के पुरोधा माने जाते हैं। कॉरपोरेट ऋण पर उनकी अध्यक्षता में बनी समिति दिसंबर 2005 में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप चुकी है जिसकी सिफारिशों पर अमल की बात बराबर रिजर्व बैंक व सेबी की तरफऔरऔर भी

जिम रोजर्स अमेरिकी शेयर बाजार के बड़े नामी सटोरिये हैं। बड़बोलापन उनकी आदत है। लेकिन उन्होंने हाल ही में बिजनेस चैनल सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में ऐसी बात कही है जो किसी को सिर से पांव तक हिलाकर रख सकती है। उनका कहना है कि, “ब्रिटेन पूरी तरह दीवालिया हो चुका है।” बता दें कि जिम रोजर्स मशहूर निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ जुड़े रहे हैं और निवेश से करोड़ो डॉलर कमा चुके हैं। उनकाऔरऔर भी

सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह लगभग 18 फीसदी बढ़कर 21,71,022 करोड़ रुपए हो गया है। खासकर यह बढ़त सरकारी की दिनांकित प्रतिभूतियों में होनेवाले सौदों के चलते हुई है जिसमें निवेश लगभग 90 फीसदी बढ़ गया है। नोट करने की बात यह है कि सरकारी प्रतिभूतियों में बैंक या म्यूचुअल फंड व बीमा कंपनियों जैसी वित्तीय संस्थाएं हीऔरऔर भी

मैंने कल ही आवेगी शेयरों से बचने की सलाह दी थी। आईएफसीआई आज इसका पहला शिकार हो गया। सरकार ने कहा है कि वो इससे लिए बांडों को इक्विटी में बदल देगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को आईएफसीआई के 52 करोड़ अतिरिक्त शेयर मिल जाएंगे। 520 करोड़ रुपए का यह निवेश इसकी 737.84 करोड़ रुपए की मौजूदा इक्विटी का लगभग 70 फीसदी है। जाहिर है कि इक्विटी बढ़ जाने के बाद कंपनी का मूल्यांकन अभीऔरऔर भी