जो धारा की सतह को देखते-समझते हैं, आज उनका है। लेकिन जो सतह के नीचे चल रही अंतर्धाराओं को अभी से देख लेते हैं, कल उन्हीं का है। भविष्य कहीं आसमान से नहीं टपकता। वह वर्तमान के गर्भ से ही उपजता है।और भीऔर भी