अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार क्या गिराया, तमाम जिंसों के दाम धड़ाम-धड़ाम गिरने लगे। चांदी पर निचला सर्किट लग गया। एक हफ्ते में चांदी पर लगा यह दूसरा निचला स्रर्किट है। यह संकेत है इसके भावी हश्र का। इस पर मार्जिन भी अब काफी बढ़ा दिया गया है। इससे इसमें और गिरावट आएगी और यह 60,000 प्रति किलो के नीचे जा सकती है। फिलहाल कारोबारियों में इसमें निचले स्तर पर खरीद की चर्चाएं चल पड़ीऔरऔर भी

सेटलमेंट के चक्र के अंत में एक बार फिर बाजार में निराशा का आलम है। निफ्टी सुबह खुलने के कुछ देर बाद ही 5804 तक पहुंच गया। फिर 3 बजे तक गिरते-गिरते 5706 तक चला गया। हालांकि आखिरी आधे घंटे में उसमें सुधार देखा गया और यह 5749.50 पर बंद हुआ। लेकिन निफ्टी के जिस 5300 के स्तर को हम काफी पीछे छोड़ आए हैं, अब उसके फिर से वहां तक गिरने की बात हो रही है।औरऔर भी

हिन्डेनबर्ग की अशुभ छाया का डर बरकरार है। पूरे सितंबर भर रहेगा। दुनिया के बाजार गिरेंगे तो स्वाभाविक रूप से भारत पर भी असर पड़ेगा। वैसे भी हमारे एक बड़े फंड हाउस के प्रमुख कह चुके हैं कि बाजार में 10 फीसदी करेक्शन आना है। लेकिन कौन बेचेगा जिसके चलते यह करेक्शन आएगा? बीते शुक्रवार को बाजार (बीएसई सेंसेक्स) 1.25 फीसदी गिर गया। इस हिसाब से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सौदों के ओपन इंटरेस्ट में कमी आनी चाहिएऔरऔर भी

मैंने कल ही आवेगी शेयरों से बचने की सलाह दी थी। आईएफसीआई आज इसका पहला शिकार हो गया। सरकार ने कहा है कि वो इससे लिए बांडों को इक्विटी में बदल देगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को आईएफसीआई के 52 करोड़ अतिरिक्त शेयर मिल जाएंगे। 520 करोड़ रुपए का यह निवेश इसकी 737.84 करोड़ रुपए की मौजूदा इक्विटी का लगभग 70 फीसदी है। जाहिर है कि इक्विटी बढ़ जाने के बाद कंपनी का मूल्यांकन अभीऔरऔर भी

औसत भारतीय अब भी कर्ज लेने से परहेज करता है। हम अपनी कुल सालाना खरीद का बमुश्किल एक फीसदी हिस्सा क्रेडिट कार्ड से पूरा करते हैं, जबकि दुनिया का औसत 12 फीसदी का है। दूसरी तरफ बैंकों की पहुंच ग्रामीण आबादी तक नहीं बन पाई है। गावों में उधार लेनेवाले 90 फीसदी से ज्यादा लोग स्थानीय सूदखोरों का सहारा लेते हैं। बैंक भी गांवों को उपेक्षित करते हैं। साल 2009 तक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों नेऔरऔर भी

दो साल पुराने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के निवेश को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा है। लेकिन हमारे म्यूचुअल फंडों ने अपना सबसे ज्यादा निवेश इसी क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में कर रखा है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के मिली जानकारी के मुताबिक मई अंत तक  म्यूचुअल फंडों ने अपनी कुल आस्तियों का 14.14 फीसदी हिस्सा बैंकों और 5.01 फीसदीऔरऔर भी

बेस रेट तो लागू हो गया, लेकिन पुराने होम लोन के ब्याज का क्या होगा? नया होम लोन तो बैंक अपने बेस रेट के हिसाब से देंगे। जो ऋण नवीकरण के लिए आएंगे, उन पर भी बेस रेट की नई प्रणाली लागू होगी। जिन बैंकों ने शुरुआती सालों के लिए 8, 8.25 या 8.50 फीसदी ब्याज दर वाली विशेष स्कीमें पेश की थी, उन्हें और उनके ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं है। एसबीआई या एचडीएफसी की तरहऔरऔर भी

देश की कुल 6 लाख बसाहटों में से बमुश्किल 30,000 या महज 5 फीसदी में किसी वाणिज्यिक बैंक की शाखा है। तकरीबन 40 फीसदी भारतीयों के पास ही बैंक खाता है। यह अनुपात देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में तो और भी ज्यादा कम है। ऐसे लोगों की संख्या जिनके पास किसी न किसी किस्म का जीवन बीमा कवर है, केवल 10 फीसदी है। साधारण बीमा की बात करें तो यह सुविधा लेनेवालों का अनुपात एक से भीऔरऔर भी

पहले प्रस्ताव था कि 1 अप्रैल 2010 से बैंकों के सभी तरह के लोन पर बेस रेट की नई पद्धति लागू कर दी जाएगी। लेकिन बैंकों के शीर्ष अधिकारियों से राय-मशविरे के बाद रिजर्व बैक ने इसे अब 1 जुलाई 2010 से लागू करने का फैसला किया है। यह फैसला शुक्रवार को लिया गया। इस नई पद्धति के लागू होने पर अभी तक लागू बीपीएलआर (बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट) पद्धति धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। बीपीएलआर के साथऔरऔर भी