पिछले बीस महीनों से कसते ब्याज दर के फंदे ने भले ही मुद्रास्फीति का बालबांका न किया हो, लेकिन औद्योगिक विकास का गला जरूर कस दिया है। खदानों, फैक्टरियों और सेवा क्षेत्र से मिले ताजा आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मात्र 1.81 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि जानकारों का औसत अनुमान 3.5 फीसदी का था। यह सितंबर 2009 के बाद पिछले दो सालों की न्यूनतम औद्योगिक वृद्धि दर है। सितंबर 2010 में आईआईपीऔरऔर भी

निर्यात की संदेहास्पद बढ़त जारी है। करीब तीन हफ्ते पहले हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने जो बताया था, आखिरकार आंकड़े उसकी तस्दीक करते हैं। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2011 में भारत का निर्यात 24.82 अरब डॉलर रहा है। यह सितंबर 2010 में हुए 18.20 अरब डॉलर के निर्यात से 36.36 फीसदी ज्यादा है। रुपए में यह वृद्धि 41.01 फीसदी निकलती है। लेकिन सरकार ने इस बात काऔरऔर भी

देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2011-12 में सितंबर तक के छह महीनों में ही पूरे साल के बजट अनुमान का लगभग 71 फीसदी हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2010-11 की पहली छमाही में यह बजट अनुमान का 34.9 फीसदी ही था। वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर 2011 के बीच 1.92 लाख करोड़ रुपए रहा है, जबकि पूरे वित्त वर्ष का बजट लक्ष्य 4.13 लाख करोड़ रुपए रखा गयाऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर तक की छमाही में देश से हुआ निर्यात 160 अरब डॉलर रहा है। यह पिछले साल की समान अवधि से 52 फीसदी ज्यादा है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने राजधानी दिल्ली में बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। हालांकि उन्होंने कहा कि ये मोटामोटी आंकड़े हैं। इसलिए अंतिम आंकड़े थोड़ा इधर-उधर हो सकते हैं। खुल्लर ने बताया कि अप्रैल-सितंबर 2011 के दौरान देश में हुआ आयातऔरऔर भी