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निफ्टी की दशा-दिशा: मंगलवार 30 मई 2023 शुरुआती रुख↓ सुबह 8.15 बजे

 

शुक्र का बंद कल का उच्चतम कल का न्यूनतम कल का बंद संभावित दायरा
18499.35 18641.20 18581.25 18598.65 18505-18655

 

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एक में अनेक की खोज

2022-07-26
By: अनिल रघुराज
On: July 26, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

माता-पिता ही ब्रह्मा

2020-05-24
By: अनिल रघुराज
On: May 24, 2020
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होश में रहना

2020-03-13
By: अनिल रघुराज
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आभासी और असली सच

2017-12-27
By: अनिल रघुराज
On: December 27, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

निवेश – तथास्तु

  • बगैर पारदर्शिता निवेश अंधेरे में छलांग!
    28 May 2023

    शेयर बाज़ार जितना ही पारदर्शी, शेयरों के भावों की खोज उतनी ही सटीक। बाज़ार को पारदर्शी बनाना सरकार और पूंजी बाज़ार की नियामक संस्था, सेबी का दायित्व है, हमारा नहीं। हम जैसे आम निवेशक यहां आंदोलन करने नहीं आए। हमें तो कायदे के निवेश से काम भर का मुनाफा कमाकर संकरी गली से निकल लेना है। फिर भी सवाल तो उठता ही है कि तीन साल में अडाणी ग्रीन का शेयर 5000% से ज्यादा बढ़कर 55 से […]

पेड सेवा

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क्या आप जानते हैं?

  • अमृतकाल है या विश्वास का संकटकाल

    दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते हैं। सरकार का हर मंत्री झूठ बोलता …

अपनों से अपनी बात

  • साल में 41-112%, मिले है सिर्फ यहां!

    भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

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जानिए

  • ज़ीरो-सम गेम नहीं है यह
  • ईटीएफ: चलो बाजार खरीद लें
  • मायने आईपीओ ग्रेडिंग के
  • जवाब कमोडिटी बाजार के

बूझिए

  • ओपन ऑफर, बायबैक, डीलिस्टिंग
  • इश्यू मूल्य और बुक बिल्डिंग
  • गुत्थी ऋण बाजार की
  • यह कासा बला क्या है?

आज़माइए

  • मोटामोटी दस बातें शेयरों की
  • गोल्ड ईटीएफ एक, दाम अनेक
  • न करें कम एनएवी का लालच
  • फायदे म्यूचुअल फंड निवेश के

क्या आप जानते हैं?

अमृतकाल है या विश्वास का संकटकाल

दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते

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