अब लाभ न कमानेवाली या मामूली लाभ कमानेवाली लिस्टेड कंपनी भी प्रबंधन से जुड़े प्रोफेशनल को बेधड़क हर महीने 4 लाख रुपए से ज्यादा का वेतन व भत्ता दे सकती है। इसके लिए उसे केंद्र सरकार से कोई इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी। अभी तक इससे पहले कंपनी को सरकार की मंजूरी लेना जरूरी था। लेकिन कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी एक्ट 1956 के संबंधित प्रावधान को ही अब बदल दिया है। कंपनी एक्ट 1956 के अनुच्छेद –औरऔर भी

नौकरीपेशा लोगों के एक हिस्से को आयकर रिटर्न दाखिल करने से मुक्ति की वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की बजट घोषणा के बारे में अभी तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। लेकिन सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा के मुताबिक इस साल 5 लाख रुपए से कम वेतनवाले लोगों को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। सुधीर चंद्रा का कहना है, “वेतनभोगी लोगों, हो सकता है 5 लाख रुपए तकऔरऔर भी

देश का मूल प्रेस कानून 1867 यानी अंग्रेजों के जमाने का है। इसमें पहला बड़ा संशोधन 1955 में पहले प्रेस आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया। इसके साल भर बाद 1956 में रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया (आरएनआई) के कार्यालय ने काम करना शुरू किया। प्रेस कानून में आखिरी संशोधन करीब 27 साल पहले 1983 में किया गया था। विदेशी मीडिया के आने के मद्देनजर इसमें फिर बड़े संशोधन पर विचार किया जा रहा है।औरऔर भी

संविधान में संशोधन का अधिकार सिर्फ सरकार को है, जनता को नहीं। जनता जब संविधान में बदलाव की बात करती है तो राष्ट्रद्रोही तक करार दी जाती है। फिर, आखिर किन गणों का गणतंत्र है यह?और भीऔर भी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंडों द्वारा विभिन्न स्कीमों में ली जानेवाली निवेश प्रबंधन और सलाह सेवाओं के लिए सीमा बांध दी है। साथ ही उसने स्कीम के खुले रहने से लेकर रिफंड व स्टेटमेंट तक भेजने का समय घटा दिया है। सेबी ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर म्यूचुअल फंडों के लिए संशोधित रेगलेशन जारी कर दिया। गजट में प्रकाशित होने के साथ 29 जुलाई 2010 से नए नियम लागू भी होऔरऔर भी