सफलता की सोच
दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं। न मौसम और न ही सरकार। ज़िंदगी में भी कुछ स्थाई नहीं। न सुख और न ही दुख। सब कुछ निरंतर बदलता रहता है। इसलिए जीवन में सफलता से आगे बढ़ने का एक ही तरीका है कि हम इस सच को स्वीकार कर लें।और भीऔर भी
निरर्थक शिक्षा
अगर शिक्षा ने हमें समस्याओं के व्यूह को भेदने की कला नहीं सिखाई, बेहतर कल का ख्वाब और उसे पाने का हुनर नहीं सिखाया तो वह हमारे किस काम की! अगर वो हमें व्यवस्था का दास ही बनाती है तो ऐसी शिक्षा हमें मंजूर नहीं।और भीऔर भी
ज़िद और जड़ता
लंबे समय तक किसी गफलत में जीना न खुद के लिए अच्छा है और न ही औरों के लिए। धीरे-धीरे झलकने लगता है कि हम कितने भ्रम में पड़े हुए थे। लेकिन अपनी जिद और जड़ता के कारण हम सच को स्वीकार करने से भागते रहते हैं।और भीऔर भी
गलत है, अनुचित है
जननी, जन्मभूमि और मातृभाषा के चयन की छूट हमें नहीं। जो मिला, उसे सम्मान से स्वीकार करना ही उचित है। पर सरकार व सत्ता तंत्र को राष्ट्र मान उसके गलत कृत्य को स्वीकार करना अनुचित है।और भीऔर भी
मानो या न मानो
जीने के दो ही तरीके हैं। एक, दिए हुए हालात को जस का तस स्वीकार कर उसी में अपनी कोई जगह बना ली जाए। दो, हालात से ऊपर उठकर नई संभावनाओं को तजबीज कर उन्हें मूर्त रूप दे दिया जाए।और भीऔर भी
कर्म सर्वोच्च
भावनाएं माहौल बनाती हैं। विचार ताकत देते हैं। हमारा कर्म उसे संगत निष्कर्ष तक पहुंचाता है। भावना से लेकर विचार तक कर्म की सेवा के लिए हैं। कर्म सर्वोच्च है। इस तथ्य को मान लेने में हर्ज ही क्या है!और भीऔर भी