हम अपने में इस कदर डूबे रहते हैं कि बाढ़ का पानी किस कदर करीब आ पहुंचा है, पता ही नहीं चलता। जब हम ठीक डूबने की कगार पर होते हैं, तब जागते हैं। लेकिन तब तक तो काफी देर हो चुकी होती है।और भीऔर भी