पांच महीने की कसर, पांच स्टॉक्स
2012-09-16
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं – ग़ालिब का ये शेर अभी तक अपुन पर पूरा फिट नहीं बैठा है। कारण, मुश्किलें तो पड़ती जा रही हैं, लेकिन आसां नहीं हो रहीं। इस चक्कर में फिर से आपकी सेवा में हाज़िर नहीं हो पा रहा। एक वजह यह भी है कि पेड सर्विस शुरू करने का मन नहीं बना पा रहा हूं। मेरा मानना है कि ज्ञान किसी की बपौती नहीं है और इसेऔरऔर भी