शेयर बाज़ार में लांग टर्म के निवेश का फलना कोई जादू नहीं। अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है निवेश। अर्थव्यवस्था पस्त हो तो निवेश खोखला हो जाता है। जैसे, जापानी अर्थव्यवस्था पिछले बीस सालों से पस्त है तो जो निक्केई सूचकांक दिसंबर 1989 में 38,915 पर था, 23 साल चार माह बाद अभी 13,694 पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने की अपार संभावना है तो यहां लंबे निवेश के फलने की गारंटी है। एक ऐसी ही संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया के हाल का कितना असर पड़ता है, यह भले ही बहस का मुद्दा हो। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय शेयर बाज़ार पर दुनिया के हाल का सीधा असर पड़ता है। साइप्रस और यूरो ज़ोन के झटके से भारतीय शेयर बाज़ार दोपहर दो बजे के बाद पस्त होने लगा। लेकिन कमाल की बात यह है कि विदेशी घटनाक्रमों से विदेशी निवेशक (एफआईआई) ज्यादा प्रभावित नहीं होते। इसका सबूत है कि कलऔरऔर भी

सेंसेक्स 19,000 के ऊपर और निफ्टी 5800 के पार। यही नहीं, बी ग्रुप के शेयर जिस तरह बढ़े हैं, उसे बाजार में रिटेल निवेशकों की वापसी का संकेत माना जा रहा है। ब्रोकर गदगद हैं। औरों को झांसा देकर अपनी जेब भरनेवाले धंधेबाज अब सड़क चलते लोगों को भी यकीन दिलाने में लग गए कि यही सही वक्त है शेयरों में पूंजी लगाने का। लेकिन आंख पर पट्टी बांधकर निवेश करनेवाला शेयर बाजार में हमेशा गच्चा खाताऔरऔर भी

अमेरिका में बेरोज़गारी की दर तीन सालों के न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है। डाउ जोन्स मई 2008 के बाद के सर्वोच्च स्तर पर आ चुका है। वह शुक्रवार को 1.2 फीसदी की बढ़त लेकर 12,862.23 पर बंद हुआ है। लेकिन अब वहां करेक्शन आना लाजिमी है। देश में निफ्टी बड़े शान से 5300 का स्तर तोड़कर ऊपर आ चुका है। लगातार तीन दिन से 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) से ऊपर टिका है। अरसे सेऔरऔर भी

शिवालिक बाईमेटल, राठी बार्स, त्रिवेणी ग्लास, क्विंटेग्रा सोल्यूशंस, सूर्यचक्र पावर, एचसीसी और रोमान टारमैट ऐसे कुछ स्टॉक्स हैं जिनकी चर्चा इस कॉलम में साल भर के दौरान बार-बार हुई है। किसी न किसी आधार पर इनमें अच्छी बढ़त का अनुमान पेश किया गया था। लेकिन बताए जाने के बाद से इनमें से कई शेयरों के भाव 40-50 फीसदी तक गिर चुके हैं। आप में से कई लोगों ने इस बाबत अपनी शंकाएं और सवाल भी पेश किएऔरऔर भी

गुल टेकचंदानी को आपने देखा भी होगा, सुना भी होगा, अंग्रेजी और हिंदी के बिजनेस चैनलों पर। निवेश सलाहकार हैं, बाजार के विश्लेषक हैं। निवेश उनका धंधा है। लेकिन सबसे बड़ी बात है धंधे में बड़े बेलाग हैं, ईमानदार हैं। बताते हैं कि छात्र जीवन में ही सट्टे का चस्का लग गया था। 1980-81 के आसपास शेयर बाजार से इतना कमाया कि दक्षिण मुंबई में दफ्तर, गाड़ी, बंगला सब कुछ हो गया। पिता को बोले कि मुझेऔरऔर भी

शेयर बाजार में मची घबराहट व अफरातफरी के इस आलम हर कोई तम्बू समेटने और हिसाब-किताब दुरुस्त करने में लगा है। ब्रोकरेज हाउस अपने ग्राहकों से जबरदस्ती पूरी रकम निकालने लगे हैं। बल्कि, मुझे तो कुछ लोगों ने बताया कि हैदराबाद की किसी कंपनी के प्रवर्तक को एक प्रमुख ब्रोकिंग हाउस ने एयरपोर्ट से ही उठा लिया क्योंकि उसने उस ब्रोकरेज हाउस से अपना हिसाब-किताब नहीं निपटाया था। चेन्नई के एक प्रमुख अखबार ने खबर दी हैऔरऔर भी

पिछले चार दिनों से बाजार में बराबर यह खबर उड़ रही थी कि सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम (आरपीएल) में एसएएसटी (सब्सटैंशियल एक्विजिशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर) रेगुलेशन के उल्लंघन के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 400 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है। आज एक प्रमुख बिजनेस चैनल ने भी यह ‘खबर’ फ्लैश कर दी। अंदरूनी व भेदिया कारोबार के माहिर खिलाड़ी निफ्टी और आरआईएल में पिछले हफ्ते से ही शॉर्ट चल रहे हैं। यही वजह हैऔरऔर भी

कल बाजार डीएमके से जुडे नेताओं पर सीबीआई के छापों के कारण गिर गया। लेकिन इसे तूल देना एकदम गलत है क्योंकि डीएमके सत्ता से बाहर रहना गवारा नहीं कर सकती। विपक्ष ठीक ही कह रहा है कि इतनी देर से छापे मारना महज दिखावा है क्योंकि इस बीच गुनहगारों को इतना वक्त मिल गया कि वे तमाम कागकाज इधर से उधर कर चुके होंगे। इसलिए छापों से सीबीआई को काम का कुछ नहीं मिला होगा। असलऔरऔर भी

आज निफ्टी के 5920 के पार जाते ही बाजार ने पहली जंग जीत ली। अब कम से कम इतना तय हो गया है कि बाजार इससे ज्यादा नीचे नहीं जाएगा। बुधवार,15 दिसंबर एक ऐसा दिन है जिस पर मैं दो वजहों से जमकर दांव लगा रहा हूं। एक, मॉयल की लिस्टिंग और दो, एडवांस टैक्स जमा करने का आखिरी दिन। एडवांस टैक्स के आंकड़ों से शेयरों के मूल्यों को आवेग मिलेगा क्योंकि तीसरी तिमाही में अभी तकऔरऔर भी