प्रकृति से कैसे निपटना है, यह तो हर जीव की तरह हम मां के पेट से सीखकर आते हैं। समाज से निपटने की शुरुआती सीख हमें घर-परिवार, स्कूल व परिवेश से मिलती है। फिर जंग में हम अकेले होते हैं।और भीऔर भी

यूं तो स्कूलों को बच्चों का वर्तमान व भविष्य गढ़ने का केन्द्र माना जाता है। लेकिन बीते कुछ सालों से स्कूलों के भीतर से बच्चों के शोषण और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक बीते तीन सालों में स्कूलों के भीतर बच्चों के साथ होने वाली शारारिक प्रताड़ना, यौन शोषण, दुर्व्यवहार, हत्या जैसे मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा परिस्थितियां भी कुछ ऐसी हैं कि बच्चोंऔरऔर भी