अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक 25 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा। रेपो दर को 6.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया जाएगा। इस कदम का मकसद मुद्रास्फीति की बढ़ती दरों पर लगाम लगाना होगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक मत-संग्रह के मुताबिक आर्थिक विश्लेषक मानतेऔरऔर भी

मौज-मस्ती भरे क्रिसमस के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें। बाजार भी लगता है कि बधाई देने के मूड में आ गया है क्योंकि इसे रफ्तार देनेवाले तो छुट्टी पर जा चुके हैं। आज खास कुछ होना-हवाना था नहीं। वैसे, बीएसई सेंसेक्स 90.78 अंक बढ़कर 20073.66 और एनएसई निफ्टी 31.60 अंक बढ़कर 6011.60 पर बंद हुआ है। अब हम बाजार पर गंभीरता से निगाह सोमवार को ही डालेंगे। आसार तो यही हैं कि यह सेटलमेंट तूफान के साथऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने तीसरी तिमाही के बीच में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते वक्त तरलता के संकट को स्वीकार किया है और इसे दूर करने के लिए उसने 18 दिसंबर से वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 25 फीसदी के मौजूदा स्तर से घटाकर 24 फीसदी कर दिया है। साथ ही उसने तय किया है कि अगले एक महीने में वह खुले बाजार ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत नीलामी से 48,000 करोड़ रुपए के सरकारी बांड खरीदेगा। उसने सीआरआरऔरऔर भी

बाजार अब भी विश्वास के संकट से गुजर रहा है। इसलिए भावों में तेज उतार-चढ़ाव जारी है। लोग निफ्टी के ऑप्शन सौदों में 5600 व 5400 पर सक्रिय हैं जो साफ दिखाता है कि हर बढ़त का इस्तेमाल बिकवाली के लिए किया जा रहा है। दूसरे तमाम भूत धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं तो अब नई अफवाह फैलाई जा रही है कि डीएमके केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। यह एकदम बकवास है क्योंकि इस समयऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में पिछले तीन दिनों से लांग पोजिशन को समेटा जा रहा है और नए शॉर्ट सौदे किए जा रहे हैं। मंदड़ियों को यकीन हो चला है कि सितंबर में हिन्डेनबर्ग अपशगुन घटेगा और उन्होंने बिना किसी भय के सारी शॉर्ट पोजिशन सितंबर तक बढ़ा दी है। अब वे दुनिया के बाजारों पर अपशगुन का कहर गिरने का इंतजार करेंगे ताकि भारतीय बाजार को गिराया जा सके। ज्यादातर फंड बराबर यही कहे जा रहे हैं किऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने को प्राथमिकता मानते हुए ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। उसने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 फीसदी और रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। गौर करें कल शाम को लिखी गई अर्थकाम की खबर के पहले पैरा का आखिरी वाक्य, “हो सकता है कि रेपो में 0.25 फीसदी की ही वृद्धि की जाए, लेकिन रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदीऔरऔर भी

सारा बाजार, तमाम अर्थशास्त्री और बैंकर यही मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को जस का तस 6 फीसदी पर रखेगा और रेपो व रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक फिलहाल चौंकाने के मूड में है और वह सीआरआर को तो नहीं छेड़ेगा, पर रेपो और रिवर्स रेपो में 0.25 फीसदी की जगह 0.50 फीसदीऔरऔर भी

यूं तो मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ठीक-ठीक क्या उपाय करेगा, इसका सटीक अनुमान लगाना लगभग नामुमकिन होता है। लेकिन आज तो कमाल हो गया जब सूत्रों से मिले इशारे, बातचीत और विश्लेषण के आधार पर अर्थकाम की तरफ से पेश की गई खबर एकदम सही साबित हो गई। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2010-11 की मौद्रिक नीति में रेपो, रिवर्स रेपो और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 25 आधार अंकों या 0.25 फीसदी की वृद्धि करऔरऔर भी