गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे के पक्ष ने अपने जन लोकपाल विधेयक में फोन टैप करने, अनुरोध पत्र जारी करने और भ्रष्टाचार कम करने के लिए कामकाज के तरीकों में बदलाव लाने की सिफारिशें करने संबंधी अधिकार लोकपाल को देने का जिक्र किया है जबकि सरकार के मसौदे में ऐसे किसी भी प्रावधान का जिक्र नहीं है। दोनों मसौदों पर विचार के लिए सरकार ने 3 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। हज़ारे पक्ष ने लोकपाल विधेयकऔरऔर भी

संसद की उच्च सदन की आचार समिति ने कहा है कि राज्यसभा के सदस्यों की आस्तियों और धन का ब्यौरा वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। समिति ने हालांकि कहा है कि कोई भी व्यक्ति संसद सदस्यों की परिसम्पत्तियों और देनदारियों के बारे में सम्पत्ति और देनदारी नियम, 2004 के तहत राज्यसभा के सभापति से लिखित में अनुमति लेकर जानकारी प्राप्त कर सकता है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दी गई जानकारी में राज्यसभाऔरऔर भी

मंगलवार से द हिंदू अखबार में विकीलीक्स के सहयोग से किए जा रहा खुलासा आज, गुरुवार को संसद में हंगामे का सबब बन गया। हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में यूपीए की पिछली सरकार को बचाने और विश्वास मत हासिल करने के लिए सांसदों 50 से 60 करोड़ रुपए दिए गए थे। इस मसले पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा किया। संसद मेंऔरऔर भी