अनसुलझा बोझ
हम अपने साथ जबरदस्त बोझा लिये फिरते हैं। अनसुलझी समस्याएं, अनसुलझे सवाल। टूटी तमन्ना, अधूरी चाह। न जाने क्या-क्या, सारा गड्डमगड्ड। जगते समय यह बोझा दिखता नहीं। लेकिन सोते ही छत्ते से निकल मधुमक्खियों की तरह टूट पड़ता है।और भीऔर भी
सवालों का मर जाना
सपनों का मर जाना खतरनाक है, लेकिन उससे भी ज्यादा खतरनाक होता है सवालों का मर जाना। जिस पल से हम सवाल उठाना बंद कर देते हैं, उसी पल से हम यथास्थिति को गले लगा लेते हैं जिससे ज्ञान से लेकर सपनों तक का स्रोत बंद हो जाता है।और भीऔर भी
स्वार्थ की समझ
स्वार्थ पर टिकी इस दुनिया में भी लोग परमार्थी हो सकते हैं। लेकिन कोई हमारा इतना हितैषी क्यों बन रहा है? दूसरे की सलाह पर गौर करते हुए हमें खुद से यह सवाल जरूर पूछना चाहिए। अपने स्वार्थ की साफ समझ इसी तरह से बनती है।और भीऔर भी
अभी तो है हमें करेक्शन का इंतज़ार
निफ्टी सुबह के सत्र में 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को पार नहीं कर पाया तो अधिकांश ट्रेडर शॉर्ट हो गए। लेकिन दो बजते-बजते बाजार ने कल जैसी चाल दिखानी शुरू कर दी और बहुत तेजी से कल के उच्च स्तर को मात देता हुआ 5244.60 तक बढ़ गया। आखिर में 0.70 फीसदी की बढ़त से साथ 5235.70 पर बंद हुआ है। इस बढ़त में ट्रेडरों के रुख बदलने का भी योगदान रहा क्योंकि ढाई बजेऔरऔर भी
चौंको तो सही!
हम सही सवाल पूछना शुरू कर दें तो समझिए कि सच तक पहुंचने की हमारी आधी यात्रा पूरी हो गई। लेकिन हम तो ‘होता है, चलता है’ की सोच के ऐसे आदी हो गए हैं कि चौंकते ही नहीं, सवाल ही नहीं पूछते।और भीऔर भी