सरकार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान छह सरकारी बैंकों को 20,000 करोड़ रुपए की पूंजी मुहैया कराएगी। वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं के सचिव डी के मित्तल का कहना है कि, “वित्त सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति बैंकों को वित्तीय मदद की जरूरत का आकलन कर रही है। यह समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट दे देगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श के बाद हम 15 नवंबरऔरऔर भी

देश के विभिन्न बैंकों के बढ़ते डूबत ऋणों या गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) पर चिंता व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि इस संबंध में उपयुक्त उपाए किए जा रहे हैं। साथ ही बैंकों से ऋण मंजूर करने के दौरान सभी जरूरी प्रक्रियाओं को अपनाने को कहा गया है। लोकसभा में सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आकड़ों के अनुसार, मार्च 2009 में सरकारी क्षेत्र के बैंकों की बकाया राशि 44,039 करोड़औरऔर भी

केंद्र सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में उसके सभी अनुषंगी बैंकों के विलय करने का निर्णय ले लिया गया है। वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा ने मंगलवार को लेफ्ट सांसद डी राजा के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की मौजूदा नीति के तहत एकीकरण के लिए बैंकों के प्रबंधन की ओर से पहल करनी होती है। उन्होंने हालांकि कहा किऔरऔर भी

भारत में काम कर रहे विदेशी बैंकों में कर्मचारियों की कुल संख्या में 2010 में छह फीसदी से अधिक की गिरावट देखने को मिली और 32 में से 19 बैंकों के कुल कर्मचारी घट गए। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2010 में भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों के कुल कर्मचारियों की संख्या 6.22 फीसदी घटकर 27,742 रह गई जो इससे पहले वर्ष में 29,582 थी। हालांकि इसी दौरान प्रमुख विदेशी बैंकों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड मेंऔरऔर भी

सरकारी बैंकों में कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के मामले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई सूचना का विभिन्न बैंकों ने अलग अलग नजरिया अपनाते हुए जबाव दिया। कुछ बैंकों ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मांगी गई सूचना बैंकों में तैयार नहीं की जाती है। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट की एक खबर के अनुसार, कुछ बैंकों ने कहा है कि धोखाधडी से जुड़े आईपीसी की धारा 420 के तहत आनेवालेऔरऔर भी

आज बात बाजार की उठापटक से थोड़ा हटकर। कारण, आखिरी डेढ़-दो घंटों में कुछ ऐसा हो गया जो सचमुच आकस्मिक था। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस से लेकर तीन सरकारी बैंकों के अधिकारियों का रिश्वतखोरी में लिप्त होना हमारे वित्तीय तंत्र की बड़ी खामी को उजागर करता है। यह बड़ा और बेहद गंभीर मसला है जो अगले कुछ दिनों तक हमारे नियामकों व बाजार के जेहन को मथता रहेगा। इसलिए आज कुछ स्थाई किस्म की बात जो हो सकताऔरऔर भी