जिंदगी के हाईवे पर मुसीबतें इसलिए नहीं आतीं कि आप लस्त होकर चलना ही बंद कर लें, बल्कि मुसीबतों का हर दौर आपको वह मौका उपलब्ध कराता है जब आप ठहरकर अब तक के सफर की समीक्षा और आगे की यात्रा की तैयारी कर सकते हैं।और भीऔर भी

जिंदगी में आफत नहीं, मोड़ और उतार-चढ़ाव ही आते हैं। यह एक दुस्साहस भरा सफर है। इसमें जो मोड़ या रास्ता आप चुनते हैं, वही आपकी किस्मत बनता है। ऊंच-नीच जीवन के एडवेंचर का हिस्सा भर है।और भीऔर भी

विचार उस टॉर्च की तरह हैं जो हर अंधेरे मोड़ पर आपको दस गज दूर तक का ही रास्ता दिखाते हैं। इसलिए सफर में निरंतर आगे बढ़ने के लिए हर मोड़ पर विचारों को नई दिशा, नई रौशनी देनी जरूरी है।और भीऔर भी

सफर पर निकला मुसाफिर हूं। न संत हूं, न परम ज्ञानी। मेरे पास ज्ञान का खजाना नहीं जो आपको बांटता फिरूं। हर दिन बोता हूं, काटता हूं। दिहाड़ी का चक्र। जो मिलता है, उसे आप से साझा कर लेता हूं।और भीऔर भी

बड़ी-बड़ी मंजिलों के चक्कर में क्यों पड़ते हैं? अरे! छोटी-छोटी मंजिल बनाएं और वहां तक चलने का मजा लें। बहुत सारे झंझटों और तनावों से मुक्त रहेंगे। साथ ही नई-नई मंजिलें भी फोकट में मिलती रहेंगी।और भीऔर भी

अंधेरे, सुनसान, बियावान सफर के दौरान पीछे से पुकारने वाली आवाजें भुतहा ही नहीं होतीं। कभी-कभी अतीत आपके कंधे पर हाथ रखकर पूछना चाहता है – भाई! कैसे हो, सफर में कोई तकलीफ तो नहीं।और भीऔर भी

बच्चा जन्मता है तो आदिम होता है। फिर घर-समाज की उंगली पकड़ लाखों सालों का सफर चंद सालों में पूरा करता है, अनगिनत जन्मों को पार करता है। यह जन्म तो समझदार होने के बाद शुरू होता है।और भीऔर भी

चीजें पहले अच्छी लगती हैं। फिर अपनी लगती हैं। फिर, अपनी बनती हैं। पर, अच्छा लगने और अपना बनने तक का सफर सीधा-सरल नहीं होता। यह बात विचारों से लेकर लोगों तक पर लागू होती है।और भीऔर भी

मंजिल दूर है। सफर लंबा है। चढ़ाई तीखी है। फिर इतना भारी बोझ क्यों? ईर्ष्या-द्वेष, दुश्मनी, बदला, देख लेंगे, निपट लेंगे। मन में इतना कचरा! अरे, फेंकिए ये बोझ और मुक्त मन से उड़ जाइए।और भीऔर भी