देश के कोयला खदानों के आवंटन में घोटाले की बात कोई नई नहीं है। कई महीने पहले शिवसेना के एक सांसद ने ब्योरेवार तरीके के संसद में बहस के दौरान सारा कच्चा चिट्ठा खोला था। जेडी-यू अध्यक्ष शरद यादव ने भी इस पर हल्ला मचाया था। बीजेपी तक ने इस पर अपने तेवर गरम कर लिए थे। लेकिन फिर न जाने क्या हुआ कि सभी नरम पड़ गए। गुरुवार को अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सीएजीऔरऔर भी

कृषि मंत्री शरद पवार ने अण्णा हजारे के खुलकर सच बोलने के बाद भ्रष्टाचार पर बने मंत्रियों के समूह (जीओएम) से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन हजारे का कहना है कि पवार को मंत्री पद से भी इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार के इस्तीफे की खबर मिलने के बाद हजारे ने कहा, “जब वे मुख्यमंत्री थे, तब मैने पद्मश्री लौटा दिया था। मंत्रियों के समूह से पवार के इस्तीफा दे देने से हमारी समस्या सुलझी नहीं है।औरऔर भी

शुक्रवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2010-11 में चौंकानेवाला तथ्य सामने लाया गया है कि जिस गुजरात को औद्योगिक निवेश खींचने में सबसे तेज माना जाता है, वहां हाल के दिनों में कामगारों की हड़ताल और दूसरी तरह की श्रमिक अशांति की घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं। यह अशांति तमाम वित्तीय व अनुशासनिक मसलों को लेकर हुई है। आर्थिक समीक्षा का कहना है कि पूरे देश में श्रमिक अशांति के चलते मानव-दिवसों के नुकसान में 81औरऔर भी