हां, यह सच है कि नए साल के बजट में आम शहरी के लिए कुछ नहीं है क्योंकि साल भर में बचाया गया 2060 रुपए का टैक्स किसी अच्छे रेस्तरां में परिवार के लिए एक समय के भोजने के लिए भी पूरा नहीं पड़ेगा। यह निवेशकों के लिए भी अच्छा बजट नहीं है। इसलिए अगर बाजार विश्लेषक कह रहे हैं कि वित्त मंत्री अच्छा मौका चूक गए तो यह एक तरीके से सही है। लेकिन शायद आपनेऔरऔर भी

मैं कल करीब दर्जन भर दमदार विश्लेषकों के मिला और वे सभी कच्चे तेल की चढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि कच्चे तेल के दाम जल्दी ही 130-140 डॉलर प्रति बैरल तक चले जाएंगे। इसलिए वे खुद भी शॉर्ट सेलिंग कर रहे हैं और दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह दे रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतों का अनुमान लगाने के बारे में मेरा रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। 2005 में जब यहऔरऔर भी

शेयर बाजार को सायास गिराने में लगे लोग भले ही यह बात न मानें। लेकिन सच यही है कि अर्थव्यवस्था से सकारात्मक संकेत आने शुरू हो गए हैं। सबसे बड़ा संकेत यह है कि खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 29 जनवरी को समाप्त सप्ताह में करीब चार फीसदी की भारी गिरावट के साथ 13.07 फीसदी पर आ गयी है। ठीक इससे पहले के सप्ताह यह 17.05 फीसदी थी। सात हफ्ते में खाद्यऔरऔर भी

अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक 25 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा। रेपो दर को 6.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया जाएगा। इस कदम का मकसद मुद्रास्फीति की बढ़ती दरों पर लगाम लगाना होगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक मत-संग्रह के मुताबिक आर्थिक विश्लेषक मानतेऔरऔर भी

न तो मेरी राय बदली है और न ही मेरा नजरिया। मैं इस समय रिटेल निवेशकों की दशा-दिशा समझने के लिए देशाटन पर निकला हूं। निफ्टी जब से 5800 के पार गया है, तब से ट्रेडरों और फंडों ने निफ्टी में अपनी शॉर्ट पोजिशन काटनी शुरू कर दी है और वे अब इसकी खरीद या लांग के पक्ष में चले गए हैं। तमाम विश्लेषक भी उन्हें समझा रहे हैं कि निफ्टी 6000 अंक के ऊपर चला जाएगा,औरऔर भी