सरकार की कथनी, करनी और सोच में भारी अंतर है। एक तरफ वह पूंजी बाजार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहती है, दूसरी तरफ पब्लिक इश्यू में उसने रिटेल (एक लाख रुपए से कम निवेश करनेवाले) निवेशकों की संख्या महज 35 फीसदी तक सीमित कर दी है, जबकि पहले क्यूआईबी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल खरीदार) जैसे बड़े निवेशक नहीं थे और पूरे के पूरे इश्यू पब्लिक के लिए ही थे। यह कहना है पूंजी बाजार से जुड़ीऔरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने मंगलवार को अपनी बैठक में दो प्रमुख सरकारी खनन कंपनियों कोल इंडिया और हिंदुस्तान कॉपर के विनिवेश को हरी झंडी दे दी। लेकिन तय हुआ है कि कोल इंडिया में कोई नए शेयर नहीं जारी किए जाएंगे और सरकार की 10 फीसदी हिस्सेदारी ही बेची जाएगी, जबकि हिंदुस्तान कॉपर में 10 फीसदी सरकारी इक्विटी बेचे जाने के साथ-साथ 10 फीसदी नए शेयर जारी किएऔरऔर भी

केंद्रीय कैबिनेट ने कोल इंडिया और हिंदुस्तान कॉपर के विनिवेश का फैसला टाल लिया है। इसकी मुख्य वजह राजनीतिक सहमति न बन पाना बताया जा रहा है। खासकर, रेल मंत्री ममता बनर्जी कोल इंडिया के विनिवेश का विरोध कर रही हैं। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद खान मंत्री बी के हांडिक ने मीडिया को यह जानकारी दी। लेकिन उन्होंने विनिवेश का फैसला टालने की कोई वजह अपनी तरफ से नहीं बताई। बता दें कि जहांऔरऔर भी

सरकार अगले पांच सालों में सार्वजनिक क्षेत्र की 35 नई कंपनियों के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) लाएगी और उन्हें शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराएगी। इस तरह के विनिवेश से केंद्र सरकार को कुल 1.5 लाख करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री अरुण यादव ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में प्रमुख उद्योग संगठन सीआईआई (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के एक समारोह में यह जानकारी दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहाऔरऔर भी