पिछले बारह महीने से अटकी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) की लवासा सिटी परियोजना को आखिरकार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सशर्त मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी इस शर्त पर दी गई है कि परियोजना को महाराष्ट्र प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति लेनी होगी और पूरे कंस्ट्रक्शन के दौरान पर्यावरण संबंधी तमाम कानूनों का पालन करना होगा। मंत्रालय ने बुधवार को अपनी बेवसाइट पर डाले गए दस पेज के आदेश में कहा है, “अगर भविष्य में पाया गया किऔरऔर भी

पर्यावरण मंत्रालय की एक विशेषज्ञ आकलन समिति (ईएसी) ने पुणे के पास 2000 हेक्टेयर में बन रही लवासा की पर्वतीय नगर परियोजना के पहले चरण के लिए सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश की है। लवासा परियोजना हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) की है। इसके लिए उसने लवासा कॉरपोरेशन नाम की सब्सिडियरी बना रखी है। एचसीसी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अजित गुलाबचंद ने शुक्रवार को मुंबई में शेयरधारकों की सालाना आमसभा (एजीएम) को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमऔरऔर भी

भारतीय बाजार ने दिखा दिया है कि यहां एक तरफ बहुत-सी कंपनियां मुश्किल में हैं और अपना धंधा बेचने को तैयार हैं, वहीं दूसरी तरफ बहुत-सी कंपनियां इस कदर संभावनाओं से भरी हैं कि उन्हें खरीदनेवालों की लाइन लगी है। ऑफिस स्टेशनरी बनानेवाली कैमलिन अपनी 50.3 फीसदी इक्विटी जापानी कंपनी कोकुयो को 365 करोड़ रुपए में बेचने में कामयाब हो गई। इससे पहले कनोरिया केमिकल्स अपना एक डिवीजन आदित्य बिड़ला समूह को बेच चुकी है। अब सबेरोऔरऔर भी

केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि वह विवादास्पद लवासा परियोजना पर अपना हलफनामा और अपने आदेश की प्रति अदालत के पास जमा करेगा। इस बीच सूत्रों के अनुसार मंत्रालय लवासा कॉरपोरेशन पर कुछ पेनाल्टी लगाकर लवासा सिटी प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे सकता है। मंगलावर को सुबह मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल डेरियस खंबाटा ने न्यायमूर्ति वी सी डागा और न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ को बतायाऔरऔर भी

आम के सीजन में आंधी आने पर हम बाग में दौड़-दौड़ कर जमीन पर गिरे फलों को बोरे में भर लिया करते थे। लेकिन न तो अब वो जमाना रहा और न ही शेयर बाजार किसी गांव के आम के बाग की तरह है जहां आंधी-तूफान में गिरा हर फल मीठा होता है। यहां तो हर हर स्टॉक को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे हर तरफ से जांच कर ही उठाया जाना चाहिए। इधर बहुत सारे शेयर खटाखट 52 हफ्तोंऔरऔर भी