परेशां खामखां
2010-12-31
ज़िंदगी में पुराने का जाना और नए का आना रिले रेस की तरह नहीं, समुद्र की लहरों की तरह चलता है। लेकिन हम पुरानी लहर के भीतर बन रही नई लहर को नहीं देख पाते और खामखां परेशान हो जाते हैं।और भीऔर भी
ज़िंदगी में पुराने का जाना और नए का आना रिले रेस की तरह नहीं, समुद्र की लहरों की तरह चलता है। लेकिन हम पुरानी लहर के भीतर बन रही नई लहर को नहीं देख पाते और खामखां परेशान हो जाते हैं।और भीऔर भी
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